।।प्रातः वंदन।।
सवाल सारे, जवाब सारे,
बहार आई तो खुल गये हैं
नये सिरे से हिसाब सारे..!!
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
फरवरी का दूसरा दिन दूरंदेशी वजट के साथ नये सिरे से खुल गए हिसाब सारे..चलिए समय के साथ कदमताल मिलाते हुए, एक और कदम बसंत की ओर..✍️
अगर शोहरत यहाँ इंसान की बदनाम हो जाए,
तो हक में जो करोगे बात वो इल्जाम हो जाए ।
मुझे ग़म ये नहीं मुझको यहाँ पढता नहीं कोई..
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किस्मत की औकात कहाँ
बंद कर ....
किस्मत का रोना ,रोना ...
जमकर मेहनत कर..
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गद्दी पर है धमाचौकड़ी
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बातचीत के दौरान ही माधवजी सोनू को आवाज लगाते और उसके आने पर सबके सामने उसे एक दो रुपये का और एक पांच रुपये का सिक्का दिखला कर कोई एक उठाने को कहते थे ! जिस पर सोनू झट से दोनों सिक्कों में कुछ बड़ा दो रुपये का सिक्का ही उठाता था !
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सुरक्षा या सजा
हैलो ! मम्मा! कहाँ हो आप ? फोन क्यों नहीं उठा रहे थे सब ठीक है न ? निक्की ने चिंतित होकर पूछा तो उसकी माँ बोली ; "हाँ बेटा! सब ठीक है। भूल गयी क्या?
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मकीं को ढूंढते खाली मकान हैं साहब!
शिकारी जा चुके लेकिन मचान हैं साहब!
मकीं को ढूंढते खाली मकान हैं साहब!
वो जिनको तीर चलाने का फन नहीं आता
उन्हीं के हाथ में सारे कमान हैं साहब!..
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
सुन्दर आगाज..
जवाब देंहटाएंसवाल सारे, जवाब सारे,
बहार आई तो खुल गये हैं
नये सिरे से हिसाब सारे..!!
सादर..
आभार..
उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज सारे लिंक्स पढ़ ली
वाह!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति सभी अंक बहुत ही अच्छे हैं! पढ़कर आनंद आ गया!
आभार🙏
सादर... .
वाह , सारे लिंक्स बेहतरीन । येड़ा समझ कर पेड़ा भी कहा लिए ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय अंक, मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार मम्मी जी । हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह 💐💐👏👏
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार पम्मी जी!
सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और बेहतरीन लिंको से नवाजा है आपने । बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं आपको आदरनीय पम्मी जी ।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर संकलन
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