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सोमवार, 25 अक्टूबर 2021

3192 ..भरोसा था अपनों पर, टूटता चला गया

सादर अभिवादन..
करवा चौथ भी कल सिमट गया
कोई बन गया कोई मिट भी गया
लगता है कि अब पहले जैसे दिन आ गए
सारे बंधन खुल गए, स्कूल-कॉलेज के माफिक
चलिए चलें रचनाओं की ओर.....




सजना के लिए
यह सच है कि
हमारे दाम्पत्य जीवन में
सब कुछ ठीक नहीं है,
हम नदी के दो छोर हैं
उनके मन में खोट है।
वे पति धर्म से दूर हैं
पर ये भी सच है कि
उन्होंने मुझे छोड़ा है
रिश्तों को नहीं तोड़ा है।




आयी गर्दिशी तो हाथ,
छूटता चला गया।
मुखबिरी अपनों ने क़ी,
गैर लुटता चला गया।



राजाओं पर जान निसार
उनको बतलाते अवतार
जिनको पाल रही सरकार
पढ़ना मत ऐसे अखबार।

पाठक को कर दें बीमार
द्वेष बढ़ाने को तैयार
जुमले छापें, छोड़  विचार
पढ़ना मत ऐसे अखबार।




शब्द
शब्द को दुत्कारते हैं
शब्द
शब्द को पुचकारते हैं
शब्द
शब्द को बचाते हैं




दी शीतलता दान विश्व को
पूनम में है पाया मान
नन्हा सा ये बढ़ा शुक्ल में
पाक्षिक उम्र में वृहद ज्ञान
आज चतुर्थी के अरुणोदय
नभ में दिखी यूँ मलिन काया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया




बापजी के हाथ में जादू था, जिसका भी इलाज करते, पांचवे दही का हंड़ि‍या लेकर लौटता कि आप त महाराज, एकदम्‍मै दुरुस्‍त कै दिये! जादू-जदाई में कै बरिस निकल गए। बापजी जादुई जीव थे, नशीले आदमी, बाद को महुए के शौक में संगीन होना शुरु हुए। उनकी इलाजों के लाभान्वित कभी महुए का चढ़ावा लिये लौटते। महुआ माथे चढ़ता गया, जान-पहचान के दूसरे डाकदरों ने बीच-बीच में होशियार करने की कोशिश की, मगर बापजी जादे होशियार थे, महुआ चांपे रहे, आगे जाकर पीलिये ने उनको चांप लिया। बापजी ने डेढ़ सौ बीमरिहाओं का पीलियामर्दन किया था

.....

इति शुभम 

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात !
    सुंदर,शानदार प्रस्तुति । त्योहारों की व्यस्तता के बीच किए गए आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा तहेदिल से नमन । सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  2. लाजवाब प्रस्ततुतीकरण उम्दा लिंक संकलन...
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद आपका...
    सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं

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