निवेदन।


फ़ॉलोअर

रविवार, 3 अक्टूबर 2021

3170 ..सबको लेते हैं ;..सबको पढ़ाते हैं;,..सबको बनाते हैं.. !"

सादर अभिवादन..
आज से तीन दिन मैं ही दिखूँगी
चर्चाकार तो बहुत हैं इस ब्लॉग में
पर मुख्यतः छः ही है
बाकी सब जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटते...
हमारे भाई कुलदीप जी को गूगल का
नया वर्जन नहीं सपोर्ट कर रहा है
वे एचटीएमएल कोड से ब्लॉग समायोजित करते थे
आएंगे वे...अपने ऑफिस के खर्चे में नई कोडिंग सीख रहे हैं

रचनाएँ.....



दो सितारे जगमगाए गगन में,
और उजाला इस जमी पर हो गया ।
महात्मा गाँधी, बहादुर लाल जैसा,
अग्रणी इस देश को था मिल गया ।।




चाँदनी मोम सी पिघल गई, उठा
गया कोई रात का झिलमिल
शामियाना, हल्का सा
ख़ुमार है बाक़ी,
बहुत निःसंग
सा लगे
डूबता
हुआ शुक्रतारा,




कम से कम रातों में नींद तो आती
स्वप्नों की दुनिया में खो जाती
भोर की प्रथम किरण जब मुंह चूमती
कुछ देर और  सोने का मन होता
नभ में पक्षियों की उड़ान और कलरव  
जागने को  बाध्य करते |




मैं जब डूब रहा था,
कई गोताखोर थे साहिल पर,
पर तय नहीं कर पा रहे थे
कि मुझे कौन बचाएगा.




हावड़ा स्टेशन की एक सबसे बड़ी विशेषता है कि यह टर्मिनस होने के बावजूद जंक्शन कहलाता है! रेलवे की भाषा में टर्मिनस उस स्टेशन को कहा जाता है, जिसके और आगे जाने की पटरी ना हो, रास्ता वहीं खत्म हो जाता हो यानी ट्रेन जिस दिशा से आई है उसी दिशा में उसे वापस जाना पड़ता है ! जंक्शन का मतलब होता है जिस स्टेशन से दो या उससे अधिक दिशाओं में जाने के रास्ते निकलते हों ! हावड़ा, टर्मिनस होते हुए भी जंक्शन इस लिए कहलाता है क्योंकि यहां से कई दिशाओं में जाने की सुविधा है ! एक तो सीधे बैंडल-वर्धमान होते हुए पटना-दिल्ली-पंजाब से कश्मीर तक ! दूसरे तकियापारा-सांतरगाझी होते हुए भुवनेश्वर, फिर वहां से भी आगे ! तीसरा खडगपुर-रायपुर होते हुए मुंबई ! चौथी एक लाइन हावड़ा से डानकुनी होते हुए इसे सियालदह, यानी कोलकाता से भी जोड़ती है ! इस जंक्शन की एक विशेष विशेषता यह भी है कि जहां और जंक्शनों में पटरियां स्टेशन से कुछ दूर जा कर अलग दिशाओं में मुड़ती हैं, वहीं हावड़ा में यह अलगाव स्टेशन से ही हो जाता है ! ऐसा उदाहरण और कहीं नहीं मिलता ! इसके अलावा जलपथ भी है जिससे स्टीमर द्वारा हावड़ा से कोलकाता कुछ ही मिनटों में पहुंचा जा सकता है। इसे भी जंक्शन की तरह ही लिया जा सकता है। इससे हावड़ा पुल का भी कुछ बोझ हल्का हुआ है !

चलते - चलते एक सटीक प्रस्तुति


 "अच्छा है ! अब हमें यूँ समझिए कि हमारे पास रंग-स्वाद-और गुण में अत्यधिक विभिन्नता के बीज आते हैं लेकिन हम अपने कॉफी के बीज वापस नहीं भेजते !"

"हमारे यहां सब तरह के बच्चे आते है; अमीर-गरीब, होशियार-कमजोर,  गाँव के-शहर के,  चप्पल वाले-जूते वाले,  हिंदी माध्यम के-अंग्रेजी माध्यम के, शांत- बिगड़ैल...सब तरह के  !
हम उनके अवगुण देखकर उनको निकाल नहीं देते ! सबको लेते हैं ;..सबको पढ़ाते हैं;,..सबको बनाते हैं.. !"

....
कल की कल
सादर

6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    बढ़िया अंक
    मुझे बताइयेगा
    मैं लगा दिया करूँगी
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर,सार्थक रचनाओं का संकलन प्रस्तुत किया है आपने आदरणीय दीदी । कई रचनाएँ पढ़ी,सभी सराहनीय हैं,सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं । मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन ।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...