मैं श्वेता
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन
करती हूँ।
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देवी का आह्वान करने से तात्पर्य मात्र विधि-विधान से मंत्रोच्चार पूजन करना नहीं, अपितु अपने अंतस के विकारों को प्रक्षालित करके दैवीय गुणों के अंश को दैनिक आचरण में जागृत करना है।
व्रत का अर्थ अपनी वृत्तियों को संतुलित करना और उपवास का अर्थ है अपने इष्ट का सामीप्य।
अपने व्यक्तित्व की वृत्तियों अर्थात् रजो, तमो, सतो गुण को संतुलित करने की प्रक्रिया ही दैवीय उपासना है।
देवी के द्वारा वध किये दानव कु-वृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे-
महिषासुर शारीरिक विकार का द्योतक है
चंड-मुंड मानसिक विकार,
रक्तबीज वाहिनियों में घुले विकार,
ध्रूमलोचन दृश्यात्मक वृत्तियों का प्रतिनिधित्व करता है,
शुम्भ-निशुम्भ भावनात्मक एवं अध्यात्मिक।
प्रकृति के कण-कण की महत्ता को आत्मसात करते हुए
ऋतु परिवर्तन से सृष्टि में उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा का संचयन करना और शारीरिक मानसिक एवं अध्यात्मिक विकारों का नाश करना नवरात्रि का मूल संदेश है।
वस जिसे आती है उसे छोड़ हर किसी कि
आँखें नम कर जाती है ये मौत ।
न अरमानों से दोस्ती न ख्वावों से वैर
न हक्कितों का सहारा और न झूठ से दिललगी
वस कश्मशाती बाँहों में भर लेती है ये मौत ।
न जानें कैसी है ये मौत
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मातेश्वरी की जय हो
जवाब देंहटाएंआभार आज एक नया ब्लॉग से परिचय हुआ
जिन्दगी कि रेस में धड़कनों कि
रफ्तार को भी पीछे छोड़ देती है ये मौत ।
दोस्तों से दुश्मनों तक उलझनों से उलफतों तक
साँसों से धड़कनों तक एक पल में
सवको अज़नवी कर जाती है ये मौत
न जानें कैसी ये मौत
शानदार
सादर
व्रत उपवास की उपयोगिता पर सारगर्भित विचार रखते हुए अच्छे लिंक्स तक पहुँचाया है । बेहतरीन हलचल । 👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण भूमिका प्रिय श्वेता। मां शब्द अपने आप में सम्पूर्ण सृष्टि और अनंत छांव का परिचायक है। मां के वात्सल्य और आत्मीयता का संसार में कोई सानी नहीं। सम्पूर्ण विश्व जननी और पालनकर्ता के रूप में, मां जगदम्बा की आराधना और उपासना की जाती है। नवरात्रे के रूप में नवदिवस अपने आप में सम्पूर्ण शक्ति जागरण के लिए विशेष माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है, इनमें आध्यात्मिक दृष्टि से भी और वैज्ञानिक आधार पर भी आंतरिक और बाह्य शक्ति संचयन की क्षमता का विस्तार होता है। त्रिगुणात्मक वृतियों को संतुलित करने की प्रक्रिया को बल मिलता है। तुमने बहुत गहनता से चिन्तन कर नवरात्री को बखूबी परिभाषित किया है। सभी लिंकों बढ़िया है। मंच परराजेश जी की बहुत दिनों बाद वापिसी से खुशी हुई। सभी रचनाकारों और पाठकों को नवरात्री की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंनवरात्री पर तुम्हेंबभी बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
महिषासुर शारीरिक विकार का द्योतक है
जवाब देंहटाएंचंड-मुंड मानसिक विकार,
रक्तबीज वाहिनियों में घुले विकार,
ध्रूमलोचन दृश्यात्मक वृत्तियों का प्रतिनिधित्व करता है,
शुम्भ-निशुम्भ भावनात्मक एवं अध्यात्मिक।... बहुत ही तीक्ष्ण बुद्धि से किया गया विश्लेषण,बहुत ही सार्थक जानकारी । हमेशा पढ़ती हूं,पर इस अलग अलग परिदृष्य पर ध्यान नहीं गया, बहुत आभार श्वेता जी आपका बहुत आभार ।सुंदर संकलन के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐