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रविवार, 24 अक्टूबर 2021

3191.... प्रेम और समर्पण के बीज

रविवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन
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एक स्त्री के लिए
व्रत,उपवास मात्र 
औपचारिकता नहीं
पति मात्र एक चुटकी सिंदूर नहीं होता
संपूर्ण जीवन को जीने का
एक कारण होता है। 
स्त्रियों के लिए 
मन के रिश्ते 
जल और भोजन से 
ज्यादा महत्वपूर्ण हैं,
वो मानती हैं कि
व्रत, उपवास और मंगलप्रार्थनाएँ
जीवन में विश्वास,स्नेह और शुभता का संचार करते हैं।
कोमल भावनाओं पर टिके
संबंधों के स्तंभों की नींव में बोये गए
 प्रेम और समर्पण के बीज से 
फूटे पुष्षों से ही तो
समूची सृष्टि रंग,खुशी और
सकारात्मक ऊर्जा से सुवासित है।
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आइये आज की रचनाओं के संसार में चलते हैं-

 करवाचौथ

व्रत का विरोध करने वालों को इसका अर्थ सिर्फ भोजन ना करना ही मालुम है। जब कि व्रत अपने प्रियजनों को सुरक्षित रखने, उनकी अनिष्ट से रक्षा करने की मंशा का सांकेतिक रूप भर है। ऐसे लोग एक तरह से अपनी नासमझी से महिलाओं की प्रेम, समर्पण, चाहत जैसी भावनाओं को कमतर आंक उनका अपमान ही करते हैं और जाने-अनजाने महिला और पुरुष के बीच गलतफहमी की खाई को और गहरा करने में सहायक होते हैं ! वैसे देखा जाए तो पुरुष द्वारा घर-परिवार की देख-भाल, भरण-पोषण भी एक तरह का व्रत ही तो है जो वह आजीवन निभाता है, पर इस बात का प्रचार करने या सामने लाने से विघ्नसंतोषियों को उनके कुचक्र को, उनके षड्यंत्र को कोई फायदा नहीं बल्कि नुक्सान ही है, इसलिए इस पर सदा चुप्पी बनाए रखी जाती है ! 


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मंगलबेला

ढूँढ रहे कजरारे नयना
चंदा छुपकर मुस्काए।
लहराती चूनर जब सजनी
अम्बर का मन हर्षाए।
छनक रही पायल पैरों में 
धूम मचाती है जमके।

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गिरा बिजलियाँ आशियाने पे मेरे
वो पूछें हुआ क्या है बैठे-बिठाए ।

इरादों का उनके पता ही चला जब 
रुलाकरके हमको वो खुद मुसकुराए।

करे माफ रब भी सुबह का जो भूला 
ढले शाम जब अपने घर लौट आए 


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गुल्लक

कब तक ख़ुश होते रहोगे 

सिक्कों की खनखनाहट सुनकर,

कभी तो गुल्लक उठाओ,

दे मारो ज़मीन पर,

बिखर जाने दो सिक्के,

लूट लेने दो, जिसे भी लूटना है,

जितना भी लूटना है.  

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नाम लिख दूँ


जो दिलनशीं है सितम पै माइल उसे हर इक पल दुआएँ दूँ मैं ।
सुलगते सूरज से दूर रखकर अमन-सुकूँ का क़याम लिख दूँ ॥ 
मसर्रतों पै गहन प्रदूषण अवामी ख़ुशियाँ बिलख रही हैं ।
तुम्हीं बताओ ऐ मेरे रहबर कहाँ से बेहतर निज़ाम लिख दूँ ॥

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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।


5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर अंक
    आगाज मन को तरंगित कर गया
    नारी जाति का एक सच बयां कर गया
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सामयिक तथा सार्थक रचनाओं का संकलन । बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  3. समसामयिक सुन्दर रचनाएँ, हार्दिक बधाई!
    सभी को शुभकामनाएँ💐

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर संकलन, मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी।

    जवाब देंहटाएं

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