सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक आपकी सेवा में-
अरमान जल जाएँ
तमन्नाएँ झुलस जाएँ,
युवाओं की टोलियाँ
किसे फ़रियाद सुनाएँ!
-रवीन्द्र
आइए पढ़ते हैं कुछ चुनिंदा रचनाएँ-
अहंकार
छाया है
वहीं समाधान मिला
जीवन सवाल का,
स्वयं की ही खोज थी
बेबूझ बात का!
गुलामी
क्या आज भी हम मानसिक रूप से
गुलाम नहीं हैं उन्हीं प्रदूषित विचारधाराओं
के
उसी विषैली मानसिकता के और
उसी अन्यायपूर्ण कार्य प्रणाली के?
जागना होगा हमें!
पिज्जा-बर्गर संस्कृति के हिमायती लोग साहित्य में नमक-प्याज ढूंढ रहे हैं
ज़मीनी स्तर पर निष्क्रिय लोग साहित्य को महज खिलौना समझ बैठे हैं| पिज्जा-बर्गर संस्कृति के हिमायती लोग साहित्य में नमक-प्याज ढूंढ रहे हैं| विडम्बना यहीं तक होती तो ठीक था जिन्हें न गाँव का पता है और न ही ग्रामीण संस्कृति का वे भी कथाकार रेणु की उपमा से विभूषित हो रहे हैं| सच तो यह है कि निरा व्यापारी भी यहाँ का भारतेंदु बन साहित्य की ज़मीन को बंजर बना रहे हैं| व्यापारी साहित्यकार नहीं होते ऐसा विल्कुल नहीं है लेकिन साहित्य के विशुद्ध व्यापारी जब साहित्य में सुधार और संभावना पर चर्चा करते दिखाई देते हैं तो हँसी आती है|
संपूर्ण
नारीत्व का पहचान है,वो पाच दिन!
यदि वह लाल रंग अशुद्ध होता है,
तो उसी अशुद्धता से
इस सृष्टि का निर्माण हुआ,
फिर कैसे कोई पवित्र
और कोई अपवित्र हुआ?
समाज समझता है जिसको घृणित,
उसी से हुआ है निर्मित!
अभिशाप नहीं, अभिमान है,
दिल
जीत लेती है ये MAID
और फिर एक रोज बिना ज्यादा
सोच-विचार किये
अपने आत्मसम्मान की राह पर एलेक्स
निकल ही पड़ती
है. वो लोगों
के घर में MAID
का काम करती
है और न जाने कैसे-कैसे
अनुभवों से गुजरती
है. हर मुश्किल
से बड़ी मुश्किल
उसके स्वागत के लिए हमेशा तैयार
खड़ी होती है. एलेक्स जो पढ़ना
चाहती थी, एलेक्स
जिसकी आँखें सपनों
से भरी थीं, एलेक्स जिसके भीतर
एक लेखक था उसने लोगों के घरों के ट्वायलेट
साफ़ करते हुए भी कभी सपने
देखना बंद नहीं
किया. हिम्मत नहीं
हारी. एलेक्स की माँ पौला भी एक अब्यूजिव रिलेशन
का शिकार रही है और अब एक खुली बिंदास
ज़िंदगी जीने की कोशिश कर रही है. हालाँकि उसके
भी अलग तरह के संघर्ष हैं.
*******
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरुवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
अरमान जल जाएँ
जवाब देंहटाएंतमन्नाएँ झुलस जाएँ,
युवाओं की टोलियाँ
किसे फ़रियाद सुनाएँ!
शानदार अंक
आभार
सादर
सुप्रभात🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंआज की प्रस्तुति बहुत ही उम्दा है!
सभी अंक एक से बढ़कर एक है!
मेरी रचना को जगह देने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया🙏
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति अनुज ।
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक प्रस्तुति ।बहुत शुभकामनाएं आपको रवीन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत सुन्दर ! मेरी रचना को आज के अंक में स्थान दिया आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! विलंब के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ! सादर वन्दे !
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