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बुधवार, 27 अक्तूबर 2021

3194 ..मन का हो तो अच्छा न हो तो और अच्छा...

 

।। उषा स्वस्ति ।।

"उठो सोनेवालो, सबेरा हुआ है,

वतन के फकीरों का फेरा हुआ है।

जगो तो निराशा निशा खो रही है

सुनहरी सुपूरब दिशा हो रही है

चलो मोह की कालिमा धो रही है,

न अब कौम कोई पड़ी सो रही है।

तुम्हें किसलिए मोह घेरे हुआ है?

उठो सोनेवालो, सबेरा हुआ है।"

अज्ञात

चलिए आज शुरुआत करते हैं ब्लॉग नया सवेरा की खास पेशकश...✍️



मन का हो तो अच्छा न हो तो और अच्छा...

उपजाऊ या बंजर 

केवल ज़मीन ही नहीं

बल्कि ...

हमारा मन भी होता है ।

जहाँ जो रोपा जाए 

या तो वह खूब बढ़ता..

➿➿

झिल्ला !



तुम्हारे पास कित्ते झिल्ला हैं ? चार ! दुई हमरे तीर ।

 दुई छुटकी तीर हैं। जोड़ो जोड़ो कित्ते झिल्ला ? उंगलियों के पोरों पर राबिया ने गिनती गिनना शुरू किया। एक ...दुई...तीन ....। तीन के बाद राबिया आंखें मटकाने लगी । 

➿➿




कुत्तों के भौंकने से हाथी अपना रास्ता नहीं बदलता है

आदमी काम से नहीं चिन्ता से जल्दी मरता है 

गधा दूसरों की चिन्ता से अपनी जान गंवाता है

धन-सम्पदा चिन्ता और भय अपने साथ लाती है 

धीरे-धीरे कई चीजें पकती तो कई सड़ जाती है

विपत्ति के साथ आदमी में सामर्थ्य भी आता है..

➿➿

जुलूस का मशाल वाही - -






वो सभी हो चुके हैं किंवदंती जिनका
बखान कर के आज तुम ख़ुद को,
महा मानव कहते हो, जातक
कथाओं में कहीं, तुम
आज भी हो वहीं
पर खड़े, जहाँ
था कभी
छद्म
रुपी सियार, ओढ़े हुए व्याघ्र छाल !
पहलू बदल बदल कर छलते..

➿➿


चलते चलते गौर फ़रमाये  ग़ज़ल कयामत हो गई..



  ख्वाब टूटे आस बिखरी क्या क़यामत हो गई|

हाथ से तक़दीर फिसलीक्या क़यामत हो गई|

कल में रहेकल में जिएकल की बनाई योजना,

।।इति शम ।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...

✍️

3 टिप्‍पणियां:

  1. ख्वाब टूटे आस बिखरी ,
    क्या क़यामत हो गई|
    बहुतै सुन्दर अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉगपोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं

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