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शनिवार, 9 अक्तूबर 2021

3176... नमोऽस्तु नम:

हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...

जैता तो कूंपे रे जीमै, पाळे है गोत पखो|
सायधण बिन दोरो, सोनिगरो हाथे रोटी करे अखो||

अर्थात् जैता जी तो कुंपा जी के यहां जीमते (भोजन करते) हैं दोनों एक ही गोत्र के हैं सो अपने गोत्र के पक्ष को पालते हैं। किन्तु ये सोनगरा अखैराज बिना पत्नी के (स्वर्ग में) अपने हाथों खाना बना कर खाता है।
भाट के इस दोहे का ठकुरानियों (पत्नियों) पर गहरा प्रभाव हुआ और उन्हें सत चढ़ गया और वे सती हो गई|

 सती

सती

कुमाउनी मिश्रित हिंदी में लिखा गया पहला उपन्यास ‘ओ इजा’ (ओ मां) भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हुआ. शम्भूदत्त सती जी ने अपनी दो कृतियों के अलावा अनेक कुमाउनी कविताओं का हिंदी में अनुवाद कर भाषा सेतु बंधन को भी मजबूत करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है.उनकी ये रचनाएं देश की श्रेष्ठ पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं.

कवि कुम्भ

सती

सती

शहर के बीचों-बीच स्थित मंदिर झुंझुनू शहर का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। बाहर से देखने में ये मंदिर किसी राजमहल सा दिखाई देता है। पूरा मंदिर संगमरमर से निर्मित है। इसकी बाहरी दीवारों पर शानदार रंगीन चित्रकारी की गई है। मंदिर में शनिवार और रविवार को खास तौर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर का मुख्य कारण यह है कि वहाँ कोई देवता की प्रतिमा या चित्र नहीं है।

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पुनः भेंट होगी....

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4 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार सदाबहार अंक
    जय मातेश्वरी की
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. जय माता दी🙏🙏💐💐
    बहुत सुंदर अंक,अभी पढ़ना शेष है ।
    आदरणीय दीदी को प्रणाम । सभी को बधाई 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर, सार्थक रचना !........
    ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं

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