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रविवार, 10 अक्तूबर 2021

3177 ..क्या स्वीकारा गया है मुझे गर्भ से लेकर श्मशान तक

मातेश्वरी तेरी जय हो 

सादर अभिवादन..
आज की संक्षिप्त अंक


नवरात्र ...श्वेता सिन्हा

इस सृष्टि का सबसे कोमल,स्नेहिल, पवित्र, शक्तिशाली ,
सकारात्मक एवं ऊर्जावान भाव,विचार या स्वरूप है।
सूर्य,चंद्र,अग्नि,वायु,वरूण,यम इत्यादि देवताओं जो प्रकृति में
स्थित जीवनी तत्वों के अधिष्ठाता हैं, के अंश से उत्पन्न देवी का
आह्वान करने से तात्पर्य  मात्र विधि-विधान से मंत्रोच्चार पूजन करना नहीं
अपितु अपने अंतस के विकारों को प्रक्षालित करके दैवीय गुणों के
अंश को दैनिक आचरण में जागृत करना है।





इतना आसान कहाँ था
गृहिणी हो जाना
ईंट गारे की दीवारों को
घर में बदलना
नए परिवेश में
स्वयं की पहचान बनाना
शब्दों से परे व्यवहार से
विश्वास जमाना
अपनी काबिलियत का
भरोसा दिलाना
आसान कहाँ था




मीडिया में पोस्ट करने के लिए घायल पैर की कई फोटू खिंचवाईं और उनमें से एक सेलेक्ट कर के पोस्ट कर दी. व्हाट्सप्प पर तीन बड़े बैंकर ग्रुप थे, एक फॅमिली का ग्रुप, एक रिश्तेदारों का ग्रुप, एक मोहल्लेदारों का ग्रुप था और कुछ फुटकर कस्टमर भी थे मसलन डॉक्टर, केमिस्ट, कार सर्विस सेंटर, केबल वाला, किरयाने वाला, धोबी, नाई और माली. सब में फोटो पोस्ट कर दी गई थी. और अब धड़ाधड़ मैसेज आ रहे थे. उधर फेसबुक और ट्विटर में फोटो पोस्ट कर दी गई थी और वहां से भी धुँआधार मैसेज आ रहे थे.साब को जवाब देने की फुर्सत ही नहीं मिल रही थी.




दिवसावसान के पश्चात ,
जब आई
पूर्णिमा की रात!
चांदनी रात को ,
निरवता लगा रही थी,
चार चांद!
लोल लहरें मंद स्वर
के साथ कर रहीं थीं!
नृत्य का अभ्यास!




दिन पर दिन बढ़ती जा रही है
दिनभर की भाग दौड़,
कुछ उम्र, कुछ जिम्मेदारियों
और कुछ सेहत के
तकाजों का जवाब देते-देते,
पस्त हो जाता है शरीर और मन,
दिन भर !!!




मंदिरों में सजाया गया मुझे
पर क्या घर आंगन में
उतनी ही सहजता से
क्या स्वीकारा गया है  मुझे
 गर्भ से लेकर श्मशान तक
कितनी कठिनाइयों को झेला
पर इस रोष में कभी
संसद पर ताला चढ़ाया है तूने ?



तेरी यह दासी, बहुत उदासी,
दर्शन प्यासी आज शरण में आई हूं।

सुनिए ये गीत


फिर विदा



8 टिप्‍पणियां:

  1. 'हाजरी रजिस्टर' की हाजरी लगाने के लिए धन्यवाद. सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं

  2. मंदिरों में सजाया गया मुझे
    पर क्या घर आंगन में
    उतनी ही सहजता से
    क्या स्वीकारा गया है मुझे
    गर्भ से लेकर श्मशान तक
    कितनी कठिनाइयों को झेला
    पर इस रोष में कभी
    संसद पर ताला चढ़ाया है तूने
    शानदार अंक
    नमन दीदी

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से बहुत बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
    बेहतरीन प्रस्तुति👌👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीया दीदी, बहुत सारा स्नेह व धन्यवाद मेरी रचना को लेने के लिए। बाकी तो आप रचना से ही समझ लीजिए। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया।मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

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