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सोमवार, 11 अक्टूबर 2021
3178..कह दो जरा, मन से, भटके न वो, उलझे बड़े, पथ ये सारे, कहीं अटके न वो
4 टिप्पणियां:
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असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवैविध्यपूर्ण सुंदर, सार्थक संकलन । बहुत बहुत शुभकामनाएँ आपको 💐🙏
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंको से सजी लाजवाब हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए दिल से धन्यवाद एवं आभार आपका...
आप सभी को नवरात्रि की अनंत शुभकामनाएं।