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शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2021

3189...सपनों के ताने बानों से

शुक्रवारीय अंक में
मैं श्वेता
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन
करती हूँ।
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धर्म के नाम पर 
कराह रही इंसानियत
राम,अल्लाह मौन है 
शोर मचाये हैवानियत

धर्म के नाम पर
इंसानों का बहिष्कार है
मज़हबी नारों के आगे
मनुष्यता बीमार है

खून को पानी बना के
बुझ सकेगी प्यास क्या?
चीत्कार को लोरी बना
कट सकेगी रात क्या?
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 इंसानियत की हत्या


इंसानियत के दिल पर चाकू

सदी की सबसे बुरी खबर

सबसे काला दिन इतिहास का 

सदियों तक भूला ना जाएगा 


 किसी भी बलात्कारी को मत छोड़ो

 दुनियां से निष्कासन करो 

 हे ईश्वर अब खुद नीचे आकर 

 अत्याचारियों का अंत करो|


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सपनों के ताने-बानों से
बुनी चदरिया रही अधूरी
वक़्त उड़ा कर कहाँ ले गया
अब तो बस जीना मजबूरी   

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यादों की आबाद गली में
घूम रहा है तन्हा चाँद

मेरी करवट पर जाग उठ्ठे
नींद का कितना कच्चा चाँद

मेरे मुँह को किस हैरत से
देख रहा है भोला चाँद

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जुल्फों से उसके टपकती पानी की लार l
जी चुरा ले गयी हौले से होठों के अल्फ़ाज़ ll

मयूर मन नाचते उनके क़दमों की आवाज़ l
घोल रही बारिश में पाजेब की मीठी झंकार ll

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डायरेक्टर उनके कथन को बड़े गंभीरता से सुन रहे थे  और एचआर को ये पता था कि मिश्रा जी  उस के पिता के मित्रों में हैं और डायरेक्टर साहब के पिता के मित्रों में भी हैं ।

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घर से लेकर
मोहल्ले
मोहल्ले से शहर
शहर से जिले
जिले से राज्य
राज्य से
देश में पाया जाता है

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आज के लिए इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर आ रही हैं
प्रिय विभा दी।


 




7 टिप्‍पणियां:

  1. सपनों के ताने बानों से ... हर आदमी का एक गिरोह होता है
    उम्दा लिंकों का चयन
    शुभकामनाओं के संग साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. इतने गुणी जनों की रचना में मेरी इस रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. यादों की आबाद गली में
    घूम रहा है तन्हा चाँद
    बेहतरीन अंक
    आभार...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर सार्थक तथा पठनीय सूत्रों का चयन ।बहुत शुभकामनाएं श्वेता जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर भूमिका के साथ रोचक और पठनीय प्रस्तुति प्रिय श्वेता। धर्म के नाम पर हो रही बर्बरता और उसे देख लोगों की क्रूर चुप्पी मन को ग्लानि भाव से भर देती हैं। जिन गुरुओं-पैगंबरों ने इन्सानियत के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया उसके कथित अनुयायी इंसानियत को तार-तार कर देंगे ये कोई सोच भी नहीं सकता था। कानून का डर ना होना ओर राजनीतिज्ञों का सियासी लक्ष्य साधना और व्यथित कर जाता है। अब तो न्याय पालिका पर भी प्रश्न उठने लगे हैं,आखिर उसकी चुप्पी का क्या अर्थ हुआ?
    खैर, बहुत दिनों के बाद आज कई रचनाएँ पढ़ी।बहुत अच्छा लगा। सभी ने बहुत बढ़िया लिखा है। सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनाएं। तुम्हें भी बधाई और प्यार इस सुन्दर लिंक चर्चा के लिए 👌🌷🌷❤️❤️

    जवाब देंहटाएं

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