निवेदन।


फ़ॉलोअर

रविवार, 28 अप्रैल 2019

1381.....कृष्ण मुझे क्षमा करना या आशीष देना


जय मां हाटेशवरी.....
हम सब के पास
सबसे बड़ा अधिकार,
वोट देने का है।
आखिर क्युँ करते है कुर्बान
अपना किमती वोट
चंद पैसो के लिए।

सादर अभिवादन......
अब पेश है.....
आज के लिये मेरी पसंद......
  

My Photo
 इसलिए सबकुछ होते हुए भी 
मै यहाँ कंगाल रहा
 कुछ नही होते हुए भी
 हम मालामाल रहा ।

आजादी दिलवाने में सहयोगी रहे, इसलिए उनको मंदिर में स्थापित किया गया... उस समय तो पुष्प चुप्प रह गया क्योंकि गाँव के अनपढ़ सरल-सहज इंसानों को क्या समझाता...
बच्चे की बात समझता कौन... लेकिन आज करीब पचास साल के बाद उसी स्थिति में जनता को पाकर पुरानी बातें याद कर रहा है

उदासी भी
एक पक्का रंग है जीवन का
उदासी के भी तमाम रंग होते हैं
जैसे
फ़क्कड़ जोगिया
पतझरी भूरा
फीका मटमैला
आसमानी नीला
वीरान हरा
बर्फ़ीला सफ़ेद
बुझता लाल
बीमार पीला
कभी-कभी धोखा होता है

थक चुकी हूँ आज इतना
और चल सकती नहीं ,
मंजिलों की राह पर
अब पैर मुड़ सकते नहीं
कल उठूँगी, फिर चलूँगी
पार तो जाना ही है ,
साथ हो कोई, न कोई
इष्ट तो पाना ही है !

केशव,
यह मेरा अभिमान नहीं,
यह तुम ही हो,
जिसने अर्जुन से कहीं अधिक,
अपना विराट स्वरूप दिखाकर
मेरे भव्य स्वरूप को उभारा ।


तुम थे तो,
वो पल था कितना चंचल,
नदियों सा बहता था,
वो पल कल-कल,
हवाओं में,
प्रतिध्वनि सी थी हलचल,


एक दिन किसी लोकगीत में
उसे मिल गई उसकी माँ,
अब वह लड़की हर वक़्त
वही गीत गुनगुनाती है,
लोग उसे पागल समझते हैं.

My Photo
विषधर की रखवाली में चन्दन अछूत हो जाता है
पर कहा नहीं जा सकता
शोलों की आगोश बसा शीतल रह पायेगा चन्दन भी -
***
जब रण मांगे आभूषण शाळा शस्त्र बनाने लगती है
कहा नहीं जा सकता

धन्यवाद।

12 टिप्‍पणियां:

  1. हार्दिक आभार के संग सस्नेहाशीष पुत्तर जी
    संग्रहनीय संकलन

    जवाब देंहटाएं
  2. व्वाहहहहह..
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन प्रस्तुति के साथ सुंंदर संकलन।
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी बढ़िया ,सुंदर संकलन ,शामिल करने लिए शुक्रियां दोस्त

    जवाब देंहटाएं
  5. अति सुन्दर सभी सूत्र ! मेरी रचना को भी सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कुलदीप जी !

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन प्रस्तुति सुंदर लिंक संयोजन ।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रिय कुलदीप जी -- बहुत ही सार्थक रचनाओं से सुसज्जित सुंदर अंक जिसके लिए आभार कहना बनता है |सार्थक भूमिका और बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न -- क्यों करते हैं हम अपने मताधिकार का दुरूपयोग ? जब ये बिक ही गया तो इसका क्या औचित्य ?चंद पैसे के बदले वोट बिक गया तो अयोग्य उम्मीदवार के विजयी होने की संभावना बढ़ जाती है | उसकी सबसे पहली अयोग्यता यही है कि उसे अपने आप को योग्य दिखाने के लिए पैसे खर्चने पड़ रहे हैं | दुसरे इससे योग्यता का अपमान होता है | सो सही व्यक्ति की पहचान कर उसके चयन में अपना योगदान दें अन्यथा पांच साल के लिए पछताना पड़ सकता है | एक एक मत अनमोल है | उसका प्रयोग बड़े ध्यान और बुद्धिमानी से करना ही श्रेयष्कर है | आज के सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें और आपको सस्नेह बधाई और आभार इस भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  8. यूँ तो सभी रचनाएँ अपने आप में बहुत खूब हैं पर आदरणीय ओंकार जी की रचना बहुत भावुक कर गई |

    जवाब देंहटाएं
  9. उम्दा पठनीय लिंको का खूबसूरत संकलन लाजवाब प्रस्तुतिकरण...

    जवाब देंहटाएं
  10. कुँवर नारायण की कविता की मेरी आवाज़ में प्रस्तुति को यहाँ स्थान देने के लिए धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...