हिन्दू नववर्ष 2076 एवम् चैत्र नवरात्र की पांच लिंकों का आनंद परिवार की ओर से आपको व आपके समस्त परिवारजनो को बहोत बहोत शुभकामनायें.
यह वर्ष आप सभी के जीवन में नव-शक्ति का संचार करे.....
नवरात्रि प्रारंभ हो चुका हैं.......
अष्टमी में कन्या पूजन की परंपरा
एक महान संस्कृति की पहचान है......
हम प्रत्येक शुभ कार्य में कन्या पूजन करते हैं,....
फिर कन्या को जन्म से पहले या जन्म के बाद मारने का पाप क्यों?....
हम उस देश में रहते हैं। जिस देश में बेटी को लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती का स्वरूप कहा जाता है, क्रमश: दुर्गा,
शक्ति और विद्या का प्रतीक मानते हैं, उसी धरती पर भ्रूण हत्या जैसा कुकृत्य क्यों?......
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” अर्थात जहाँ नारियों की पूजा की जाती है वहां देवता निवास करते हैं. ऐसा शास्त्रों में लिखा है किन्तु बेटियों की दिनोदिन कम होती संख्या हमारे दौहरे चरित्र को उजागर करती है. ...
अब पेश है......आज के लिये मेरी पसंद......
नव संवत्सर , नवरात्रि
प्रथम शैलपुत्री:- अर्थात पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनको शैलपुत्री, हेमावती , पार्वती इत्यादि नामों से जाना जाता है और प्रथम रूप में इनको ही
पूजा जाता है।
द्वितीय ब्रम्हचारिणी:- अर्थात तपचारिणी; इस पर एक कथा प्रचिलित है, नारद मुनि के द्वारा भविष्यवाणी की गयी कि पार्वती का विवाह भगवान भोलेनाथ से ही होगा किन्तु
हिमवान ने विष्णु जी को अपने दामाद रूप में पाने की अभिलाषा नारद जी के सम्मुख रखी । ऐसा सुनकर पार्वती जी घनघोर तपस्या हेतु वन में चली गयी । तब से उनका एक
नाम तपश्चरिणी या ब्रम्हचारिणी पड़ा ।
तृतीय चंद्रघंटा:- ऐसा रूप जिनके सर पर अर्धचंद्र, तीन नेत्र और आठ भुजाएँ जिनमे शस्त्र है, घोर गर्जना करता हुआ सिंह जिस पर वे विराजमान है तथा तीव्र घंटे
की ध्वनि है। यह हिम्मत वाली छवि है । इस देवी की आराधना करने वाले स्त्री पुरुषों में वीरता, निर्भयता, सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है।
चतुर्थ कूष्माण्डा:- अपनी मंद हँसी के द्वारा ब्रम्हाण्ड को उत्पन्न करने के इनको कूष्माण्डा कहा गया। इसीलिए इनको सृष्टि स्वरूपा भी कहा जाता है । कहते है
इनको कुम्हड़े की बलि प्रिय है ।
पंचम स्कन्दमाता:- पुत्र कार्तिकेय का एक नाम स्कन्द भी है और ये पुत्र स्कन्द को गोद में लिए हुये है अतः ये स्कन्दमाता के रूप में भी विख्यात है । इनकी पूजा
से मोक्ष का मार्ग सुगम होता है । यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली मानी जाती है।
षष्टम कात्यायनी:- छठवें दिन पूजी जाने वाली माता कात्यायनी,विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री रूप में जन्मी इसकारण
इनको देवी कात्यायनी जाना गया ।
सप्तम कालरात्रि:- नाम के अनुसार जो घने काले अंधकार के समान काले रंग के शरीर वाली जो भयानक रूप वाली भी हैं ये भयानक या आसुरी शक्तियों का विनाश करने वाली
शक्ति है । ये काल से भी रक्षा करती हैं । इनकी साधना करने से मनुष्य सब प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है ।
अष्टम महागौरी:- महागौरी अर्थात महान गौर वर्ण वाली, शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या करने के कारण इनका शरीर काला पड़ गया था जिसे शिव जी ने बाद
में पवित्र गंगाजल से धो कर कांतिमय बना दिया था उनका रूप अत्यंत गौर वर्ण का हो गया था अतः वे महागौरी कहलाईं
नवम सिद्धि दात्री:- इस रूप की पूजा नौवें दिन की जाती है । ये सब प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली होती हैं । अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति,
प्रकाम्य, ईशत्व और वशित्व ये आठ सिद्धियाँ होती हैं । माता के सिद्धि दात्री रूप की आराधना करने से ये सभी सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
अब तो आ जाओ प्रियतम
पढ़ लो नैनों की भाषा
ना बदली है परिभाषा
है दर्शन की अभिलाषा
अब तो आ जाओ प्रियतम !
हिलता विश्वास बुलाये,
नैनों की प्यास बुलाये
मन का मधुमास बुलाये
अब तो आ जाओ प्रियतम !
अगरचे हिंदोस्तान न था
कुछ सवाल थे खुदमुख्तारी का ऐलान न था
फूल मुस्कुराये जब चमन में बागवान न था
गले मिले बधाइयाँ दी कोई मगर इंसान न था
थूकते चले गए मुँह था कोई पीकदान न था
रोजमर्रा था बस बचा कोई भी अरमान न था
झांकते भी तो किधर जब कोई गरेबान न था
फासला रह गया ....
सदाओं में सोयी सदाकत मिली
हंजुओं का निरा सिलसिला रह गया -
मेरी कोशिश मिटाने की भरसक रही
फिर भी पाया दिलों में गिला रह गया -
सामाजिक ताकतों के बीच की लड़ाई
बालासाहब देवरस, विजय राजे सिंधिया, वाजपेयी, आडवाणी, अशोक सिंघल और बाल ठाकरे की जाति जिंदगी से लेकर उनकी राजनीति को परखते हुए नई दृष्टि का दावा किया गया
है। चुनाव के समय इस तरह की कई किताबें आई हैं। आनी भी चाहिए, होली आएगी तभी तो रंग बिकेगें।
नैरेटिव बनाने का एक काम जमीनी स्तर पर भी चल रहा है जिसमें दलितों और आदिवासियों के गौरवशाली अतीत को बताते हुए कई बेवसाइट चलाए जा रहे हैं। जिनमें हर दिन
प्रेरणादायक कहानियां प्रकाशित की जा रही है। इन कहानियों में जो संदेश होते हैं उसके निहितार्थ कहन से भिन्न होते हैं। इससे जो नैरेटिव बनता है वो राजनीतिक
बदल जाना जाँ" और "गतिशील पल
"मैं नहीं मानती ऐसी किसी परम्परा को.. अपनी जान दे-दूँगी ,मगर अपना बच्चा किसी भी कीमत पर नहीं दूँगी.. नहीं की नहीं दूँगी...।"
सब नोक-झोंक सुनकर बच्चा घबराकर रोने लगा और अपनी माँ के पीठ से चिपक गया,"मैं अपनी माँ को छोड़कर किसी के साथ भी नहीं जाऊंगा...।"
किन्नर का दिल बच्चे एवं माँ के मध्य वात्सल्य भाव देखकर पिघल गया। माँ उन्हें सौ रुपये का नोट देना चाहा मगर वे लोग नहीं लिये.. और जाते-जाते कहते गए,"माँ इसे खूब पढ़ाना.. अब तो सरकार हमलोगों को भी नौकरी देने लगी है...।"
"हाँ! हाँ! इसे पढ़ा रही हूँ । कुशाग्र है पढ़ाई में... मेरे परिचित में कई ऐसे हैं जो बड़े ऑफिसर बन चुके हैं...।"
वे खुश होते हुए बोले,"जुग-जुग जिए तेरा लाल... काश ऐसे जन्मे सभी मानव जीव के माँ-बाप तुमलोगों जैसे पढ़े-लिखे होते...।"
गणतंत्र का महापर्व बनने से पूर्व चुनाव जनप्रिय तो बने
भविष्य में राजनीतिक दल और चुनाव आयोग मिलकर यह प्रयास कर सकते हैं कि चुनाव केवल दलों के होंगे। केवल पार्टियों के प्रतीक चिहन वोटिंग मशीन में होंगे। लोगों
को किसी भी स्तर के चुनाव में केवल पार्टी को चुनना होगा। और जब पार्टी बहुमत प्राप्त करेगी तो उस पर जनता और कानून दोनों का दबाव हो कि वह योग्य लोगों को ही
क्षेत्रवार जनप्रतिनिधि बनाए। संभवतः इस तरह का चुनावी प्रयोग लोगों के मन से खत्म हो रही गणतांत्रिक निष्ठा को बचा सके।
धन्यवाद।
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंआभार...
शानदार प्रस्तुति..
नवरात्रि की शुभकामनाएँ..
सादर..
सस्नेहाशीष संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंनवरात्रि पर मंगलकामनाएं। सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर, नव रात्रि, नव वर्ष एवं गुड़ी पड़वा की आप सभीको हार्दिक मंगलकामनाएं ! आज की हलचल में बहुत सुन्दर सूत्रों का संयोजन ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कुलदीप भाई ! स्नेहिल वन्दे !
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं । बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत संकलन, चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाए
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर उम्दा लिंक संकलन...शानदार प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंनवसंवत्सर की शुभकामनाएं।