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रविवार, 28 अप्रैल 2019
1381.....कृष्ण मुझे क्षमा करना या आशीष देना
12 टिप्पणियां:
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हार्दिक आभार के संग सस्नेहाशीष पुत्तर जी
जवाब देंहटाएंसंग्रहनीय संकलन
व्वाहहहहह..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति..
आभार..
सादर..
बेहतरीन प्रस्तुति के साथ सुंंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी बढ़िया ,सुंदर संकलन ,शामिल करने लिए शुक्रियां दोस्त
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर सभी सूत्र ! मेरी रचना को भी सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कुलदीप जी !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति सुंदर लिंक संयोजन ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
प्रिय कुलदीप जी -- बहुत ही सार्थक रचनाओं से सुसज्जित सुंदर अंक जिसके लिए आभार कहना बनता है |सार्थक भूमिका और बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न -- क्यों करते हैं हम अपने मताधिकार का दुरूपयोग ? जब ये बिक ही गया तो इसका क्या औचित्य ?चंद पैसे के बदले वोट बिक गया तो अयोग्य उम्मीदवार के विजयी होने की संभावना बढ़ जाती है | उसकी सबसे पहली अयोग्यता यही है कि उसे अपने आप को योग्य दिखाने के लिए पैसे खर्चने पड़ रहे हैं | दुसरे इससे योग्यता का अपमान होता है | सो सही व्यक्ति की पहचान कर उसके चयन में अपना योगदान दें अन्यथा पांच साल के लिए पछताना पड़ सकता है | एक एक मत अनमोल है | उसका प्रयोग बड़े ध्यान और बुद्धिमानी से करना ही श्रेयष्कर है | आज के सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें और आपको सस्नेह बधाई और आभार इस भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए |
जवाब देंहटाएंयूँ तो सभी रचनाएँ अपने आप में बहुत खूब हैं पर आदरणीय ओंकार जी की रचना बहुत भावुक कर गई |
जवाब देंहटाएंउम्दा पठनीय लिंको का खूबसूरत संकलन लाजवाब प्रस्तुतिकरण...
जवाब देंहटाएंकुँवर नारायण की कविता की मेरी आवाज़ में प्रस्तुति को यहाँ स्थान देने के लिए धन्यवाद !
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