----
मौसम मतदान का आ गया है,
दिल से नहीं दिमाग से मताधिकार का प्रयोग करें।
आने वाले पाँच साल का भविष्य आपके हाथ में है।
कृपया मतदान केंद्रों की लंबी कतारों के भय से
घर पर बैठकर टी.वी. या मोबाइल पर न लगे,अगर आप अपना कर्तव्य नहीं निभाते हैं तो
सरकार और नेताओं को उनके कर्तव्य याद दिलाने में, उन्हें कोसने का आपको कोई अधिकार नहीं।
और हाँ नोटा में वोट करके अपना कीमती वोट व्यर्थ न करें।
अब चलिये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
★
आदरणीय ज्योति खरे जी
चमकीले कांटों का
वार नहीं सहता मन
फूलों के चांटों का
हरियाली को चरते
शहरी चीते----
★★★★★
श्याम बिहारी श्यामल
इश्क़-ए-बेख़ुदी पड़ूंं तो क्यों
नूर तेरी चाह के, बहुत कुछ हैं ये
ज़िन्दगी के लिए, चाहतों का
क्या आसमान भी कम
सा लगे है, चार
दिन की है
चांदनी,
मिलिये
आदरणीया सुजाता प्रिया जी से
झूला एक लगा दो माँ
★★★★★
आदरणीय देवेन्द्र जी
कबूतर और सरकारी कार्यालय
कल का अंक पढ़ना न भूलें कल आ रही हैं
आदरणीया विभा दी
अपनी विशेष प्रस्तुति के साथ।
#श्वेता सिन्हा
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंमतदाता
अधिकांश निम्न मध्यम तबके के लोग ही रहते हैं
उच्च वर्ग के लोग क्यू में खड़े होने के भय से मतदान नही करते..एक बड़ा सरकारी अमला मतदान में कार्यभारित होने के कारण वंचित हो जाता है..
अच्छी रचनाएँ पढ़वाई आपने आज..
आभार..
सादर..
सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंनोटा का विकल्प क्यों दिया गया है ?
जी दी अगर आपको आपके क्षेत्र का कोई भी प्रत्याशी न ठीक लगे तो NOTA.
हटाएंपर दी इससे आपके वोट का उपयोग क्या हुआ फिर?
सुन्दर सूत्र संयोजन।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन
जवाब देंहटाएंआपके प्यार के धागे में गूथा कविताओं का गुच्छा बेरद खूबसूरत लगा। उत्त्साहबर्धन के लिए सादर आभार
जवाब देंहटाएंकीमती वोटों को व्यर्थ न जाने दें...सही कहा ...सुन्दर सारगर्भित भूमिका के साथ शानदार प्रस्तुति..... उम्दा लिंक संकलन
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भूमिका और सुंदर संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी सम्मलित रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने आभार
सादर