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रविवार, 21 अप्रैल 2019
1374.....आखिर ऐसा हुआ क्यो
10 टिप्पणियां:
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सुंदर संयोजन
जवाब देंहटाएंआभार
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहह..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएँ पढ़वाई आपने....
आभार.
सादर....
सस्नेहाशीष
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन
श्रम को नमन
बेहतरीन संकलन ।
जवाब देंहटाएंआज के खूबसूरत अंक में 'उलूक' की बड़बड़ को भी जगह देने के लिये आभार कुलदीप जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत संकलन
जवाब देंहटाएंप्रिय कुलदीप जी - देर से उपस्थिति के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | अंक उसी दिन देख लिया था पर अति व्यस्तता वश यहाँ उपस्थिति दर्ज ना करा सकी | मेरी रचना को चुन इस संकलन का हिस्सा बनाने के लिए आपकी आभारी हूँ बहुत सराहनीय अंक के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनायें |
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