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रविवार, 14 अप्रैल 2019

1367 सच कहा जाये तो दिल की बात कहने में दिल घबराता है

सादर अभिवादन
भाई कुलदीप जी आज नहीं  हैं
सो आज फिर हमारी ही पसंद..
सच मे आप परेशान हो जाएँगे
पसंदगी में एक रूपता पाकर..
तो...चलें छुट्टियों के माहोल को खुशनुमा बनाएँ...

भरे उर मे बैचनियाँ 
शफरियों को ढूँढता 
सागर के उस पार 
मांझियों का कारवां

तप्त भानु रश्मियाँ
उमस की दुश्वारियाँ
संजोए मन में आस
गीत गुनगुना रहा

खुद को मिटाते रहे उसके नाम के खातिर,
खुद को झुकाया हमने उसके एहतराम के खातिर।

सुना था इश्क़ में हीर राँझा हो जाते हैं,
हमने भी इश्क़ कर लिया इस इनाम के खातिर।

तुम्हारे बच्चों की माँ को
उनके साथ सोता छोड़कर
एक औरत दुनिया में लौटती है
हँसती है
जितना वो चाहें
जब वो चाहें और
पहनती है जो वो चाहें
उतारती है जब वो चाहें


खाना नाही, बिजली आउर पानी नाही बा
इ शहर में आउर कौनो परेशानी नाही बा

मनई क देखा कान कुतर देहलेस चूहवा
लागेला कि इ शहर में चूहेदानी नाही बा

अगर सूरज हो,
तो बाहर आओ,
बादलों में दुबके रहोगे,
तो कोई नहीं पूछेगा तुम्हें.

पहाड़ों के पीछे से,
समुद्र के पार से,
जहाँ से भी निकल सको,
पूरे सौंदर्य में निकलो.


कभी-कभी सुबह-सुबह देखने आना-
वह नदी, जो बचपन से बह रही है,
वह पहाड़, जो अडिग है,
वह मृत्यु ,जो पल पल देखी गयी है,
वह समुद्र, जो गरजता रहता है,
वह जंगल, जो बीहड़ हो चुका है।

इस पर लिखना 
उस पर लिखना 
लिखते लिखते 
कुछ भी लिखना 
बहुत कुछ ऐसे ही 
लिखा जाता है 
लिखते लिखते भी 
महसूस होना कि 
कुछ भी नहीं 
लिखा जाता है 
हर लिखने वाला 
इसी मोड़ पर 
बहुत ही कंजूस 
हो जाता है 



आज तो बस इज़ाज़त दे ही दीजिए
यशोदा


13 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    इस पर लिखना
    उस पर लिखना
    लिखते लिखते
    कुछ भी लिखना
    लिखना और लिखते जाना
    और नही थकना..
    बेहतरीन..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
    उम्दा संकलन

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी रचनाएँ उम्दा। मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. आपके पसंदीदा सूत्रों में स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार । बहुत सुन्दर प्रस्तावना और बेहतरीन प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर रविवारीय हलचल में 'उलूक' के पन्ने को भी जगह देने के लिये आभार यशोदा जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया हलचल. मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं

  7. इस पर लिखना
    उस पर लिखना
    लिखते लिखते
    कुछ भी लिखना
    बहुत कुछ ऐसे ही
    लिखा जाता है

    सच कहा आपने प्रबुद्ध जन बहुत कुछ लिख जाते हैं। जैसे रामनवमी पर्व पर पेरियार के विचारों को प्रमुखता देना।
    विद्वान रावण इस लिये राम के समतुल्य नहीं है , क्यों कि उसमें दूसरे की सम्पत्ति और स्त्री ( माँ, बहन, पुत्री) के हरण की प्रवृत्ति थी।
    वैसे मैं किसी अज्ञात ईश्वरीय शक्ति में विश्वास नहीं करता , फिर भी राम में मानवीय गुण तो थें ही और स्वभाविक है कि मनुष्य में रुप में हैं ,तो कुछ खामियाँ भी इंसान में होती ही हैं।
    प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही शानदार प्रस्तुति है यशोदा जी सब कुछ मनभावन सुंदर। एकरूपता कतई दिखाई नही दी ।
    अच्छे लिंकों का चयन और सादगी के साथ प्रस्तुति, बधाई

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही शानदार हलचल प्रस्तुति दी
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय यशोदा दीदी -- सादर आभर इस विशेष प्रस्तुती में -- एक औरत जैसी अद्भुत रचना पढवाने के लिए | सभी की रचनाएँ विशेष और अनमोल हैं | सभी को हार्दिक शुभकामनायें |सादर आभार और शुभकामनायें |

    जवाब देंहटाएं

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