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गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

1364...तुम जिद न करो यूँ सुनने की, जिद्दी लहरों का अफसाना !....

सादर अभिवादन। 

हैं 
पाले 
तैयार 
नारे-नारे 
महाभीषण 
जनमत-रण
लोकतंत्र हरण। 

है 
शाँति  
सुरक्षा  
मतदान 
अमिट स्याही 
ईवीएम बटन 
 सजी होगी तर्जनी। 
-रवीन्द्र  

आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-  


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नदिया के किनारे सूने क्यों,
क्यों सागरतट है वीराना ?
तुम जिद ना करो यूँ सुनने की,
जिद्दी लहरों का अफसाना !
अनकही, कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!




एक टुकड़ा आसमान की ख़्वाहिश में
जमीं से अपनी रूठ गये
अपनों के बीच खुद को अजनबी पाया
जब भरम सारे टूट गये



 मतदान के प्रति लोगों की उदासीनता का एक सबसे बड़ा कारण यह भी है कि लोगों के मन में निराशा ने इस तरह से जड़ें जमा ली हैं कि किसी भी तरह के सकारात्मक बदलाव का आश्वासन उन्हें आकर्षित और उद्वेलित नहीं कर पाता । तुलसीदास की पंक्तियाँ आज के राजनैतिक परिदृश्य में उन्हें अधिक सटीक लगती है-
कोई नृप होहि हमहुँ का हानि
चेरी छोड़ि ना होवहिं रानी ।।



आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि हर व्यक्ति को दिन में कम से कम आठ गिलास पानी ज़रूर पीना चाहिए. लेकिन मज़े की बात यह कि इस सलाह का कोई अभिलेखित वैज्ञानिक आधार नहीं है. ज़्यादा पड़ताल करने पर पता चला कि दशकों पहले की दो सलाहों को तोड़  मरोड़कर आठ गिलास पानी पीने की सलाह गढ़ दी गई है. 1945 में अमरीकी नेशनल रिसर्च कौंसिल के फूड एण्ड न्यूट्रीशन बोर्ड ने यह सलाह दी थी कि हर स्त्री पुरुष को हर रोज़ अपने भोजन में जितनी कैलोरी की ज़रूरत होती है उन्हें उस हर कैलोरी के बदले एक मिलिलीटर द्रव्य पदार्थ भी लेना चाहिए. 



सफ़ेद संगेमरमर से निर्मित इस मंदिर की छत को पिरामिड जैसा रूप देते हुए कोणीय आकार में बनाया गया है। 1959 में सेठ जयपुरा द्वारा इसका पूर्णोद्धार करवाया गया। इसकी बाहरी परत को चमकीले सफ़ेद रंग से रंगा गया है जिससे यह दूर से ही अवलोकित होने लगता है। वर्षों पहले जब यहां बियाबान था तब पांच पीपल के वृक्षों के बीच इस स्वयंभू शिवलिंग को देखा गया था। पास ही यमुना जी बहती थीं उसी से इनका अभिषेक हुआ करता था। ऐसी धारणा चली आ रही है कि यहां जो कोई भी पारिवारिक सुख-शान्ति, स्वास्थ्य या संतान प्राप्ति के लिए प्रभू की शरण में आ सच्चे मन से प्रार्थना करता है उसकी मनोकामना गौरी शंकर वैसे ही पूरी करते हैं जैसे उन्होंने अपने भक्त आपा गंगाधर की करी थी। 


आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरुवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    बेहतरीन..
    है
    शाँति
    सुरक्षा
    मतदान
    अमिट स्याही
    ईवीएम बटन
    सजी होगी तर्जनी
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बहुत आभार मेरी रचना को मंच में शामिल करने हेतु। प्रस्तुति बहुत सुंदर एवं विविधतापूर्ण हैं। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर हलचल की प्रस्तुति 👌
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंंदर संकलन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  6. दिन भर इन्टरनेट बाधित रहने के कारण समय से प्रतिक्रिया ना दे सकी क्षमाप्रार्थी हूँ ! मेरे आलेख को आज की हलचल में स्थान देने के लिए हृदय से आपकी आभारी हूँ रवीन्द्र जी ! बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  7. शानदार प्रस्तुति करण ....उम्दा लिंक संकलन....

    जवाब देंहटाएं

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