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मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

1355...उलूक’ हर दिन अपने आईने में देखता है चेहरे पर लिखा अप्रैल फूल होता है

सादर अभिवादन
कल फूल डे निकल गया
आज है कूल डे
एसी कूलर के साथ....
संक्षिप्त में आज चलते हैं रचनाओँ की ओर....

जोगन का है रूप धरा 
जोगन तेरी कहलाऊँगी
और नहीं कुछ चाह है प्रियतम
भजन तेरे ही गाऊँगी
मन के मंदिर में मै अपने 
मूरत तेरी सजाऊँगी

पश्चिमी देशों में एक अप्रैल को यह मूर्ख दिवस मनाने का प्रचलन 
रहा हैं, चूकि हम भारतीय भी अंग्रेजों के गुलाम रहे हैं। अतः 
उनकी संस्कृति, उनकी भाषा और उनका पहनाव भी हमारा हो 
गया है। जो दो शब्द अंग्रेजी में बोल लेते हैं, वे जेंटलमैन समझे 
जाते हैं। अभिभावक हिन्दी भाषा में साहित्य सृजन करते हैं, 
परंतु उनके बच्चे अंग्रेजी माध्यम वाले विद्यालय में शिक्षा 
ग्रहण करते हैं। यही कठोर सत्य है , हम भारतीयों का ?

प्रेम के कुछ दाग तन में रह गए
इसलिए हम अंजुमन में रह गए

सब तो डूबे चुस्कियों में और हम
नर्म सी तेरी छुवन में रह गए

चल दिए कुछ लोग रिश्ता तोड़ कर
कुछ निभाने की जतन में रह गए


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कितनी सुन्दर! और दूसरी-
अरे रूपदर्शी! यह क्या है-
यह विरूप विद्रूप डरौना?
“मूर्तियाँ ही हैं दोनों

कहीं  तेज़  तर्रार  ज़िंदगी।
कहीं फूल का हार ज़िंदगी॥

कहीं बर्फ़ -सी ठंडक रखे।
कहीं सुर्ख़ अंगार  ज़िंदगी॥

कहीं माथे की बिंदिया जैसी।
कहीं पायल-झंकार ज़िंदगी॥

बकवास
करने का 

अपना मजा

और 
अपना 
एक 
नशा होता है 
-*-*-*-
अब बारी है हम-क़दम की
पैंसठवां क़दम
विषय
चित्र
कोई उदाहरण नही
स्वतंत्र लेखन करना है आपको

अंतिम तिथिः 06 अप्रैल 2019
प्रकाशन तिथि ः 08 अप्रैल 2018
प्रेषण विधि ब्लॉग सम्पर्क प्रारूप
सादर
यशोदा




12 टिप्‍पणियां:


  1. चल दिए कुछ लोग रिश्ता तोड़ कर
    कुछ निभाने की जतन में रह गए..

    सही कहा आपने , सुंदर अंक है आज का और विषय भी बढ़िया। पथिक के गुजरे "फूल डे "को स्थान देने के लिये यशोदा दी आपका हृदय से आभार, प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन प्रस्तुति
    कहीं माथे की बिंदिया जैसी।
    कहीं पायल-झंकार ज़िंदगी॥
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. आज के संकलन में मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार ....

    जवाब देंहटाएं
  4. सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
    मनमोहक संकलन

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन संकलन आज की रचनाओं का ... उलूकिस्तान अच्छा लगा ...
    आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर संकलन। आभार यशोदा जी उलूकिस्तान की खबर को जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  8. शानदार प्रस्तुति... उम्दा लिंक संकलन..।

    जवाब देंहटाएं

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