अमेरिका स्थित नेशनल अकेडमी ऑफ़ साइंसेज की
एक रिपोर्ट के अनुसार हमारी पृथ्वी महाविनाश
के छठे दौर में प्रवेश कर चुकी है। 4.5 अरब
साल पुरानी धरती पाँच बार प्राकृतिक
महाविनाश का दौर झेलते हुए निर्जीव होने से बची है।
वैज्ञानिकों की चेतावनी गंभीर चिंता का बिषय है।
इस वर्ष का जुलाई माह अपने आप में विशेष है।
इस जुलाई में 5 शनिवार ,5 रविवार और 5 सोमवार हैं।
आइये अब आपको आज की 5 पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलते हैं -
सुनीता जी की लेखनी एक अंतराल की ख़ामोशी के बाद मुखर हुई है। प्रस्तुत रचना में मुखौटों के पीछे अपनी पहचान छिपाने वालों को माक़ूल नसीहत दी गयी है-
कि हवा से भी पर्दा करना था
कि नर्म से नर्म घास भी होती हैं चुगलखोर
सुधा देवरानी जी की यह काव्य कथा भावुक ह्रदय की आँखें नम कर देती है। कुछ पात्र ज़िन्दगी में हमारी आँखों के सामने से हर रोज़ गुज़रते हैं। एक संवेदनशील कवियत्री जब समाज के उपेक्षित पात्र पर अपनी दृष्टि डालती है तो एक मर्मस्पर्शी रचना जन्मती है -
थोड़ा जूस पिया बच्चे ने, थोड़ा-सा
फिर बचा दिया.....
माँ ने ममतामय होकर, लड़की को
गिलास थमा दिया.....
बेटी ने गिलास लेकर, माँ के होठों
से लगा लिया.....
माँ ने एक घूँट छोटी सी पीकर,सर पर
उसकी थपकी देकर......
बड़े लाड़ से पास बिठाया ,
फिरअपने हाथों से उसको, बचा हुआ
वह जूस पिलाया.....
देख प्रेम की ऐसी लीला,मेरा भी
हृदय भर आया........
आदरणीय बहन यशोदा अग्रवाल जी के जीवन के झंझावातों और जिजीविषा को
श्वेता सिन्हा जी ने अपने शब्दों से मर्म की पराकाष्ठा तक पीड़ा और संघर्ष को स्वर दिया है -
साँझ की फीकी रोशनी
जब आँखों में समायी
न खो कर अंधेरों में
जलाकर सारी नकारात्मकता
एक दीप आशाओं का
प्रज्जवलित कर सुख के भोर का
पल पल इंतज़ार किया
यक्ष प्रश्न के उत्तर में महाराज युधिष्ठिर पिता का स्थान आसमान से ऊँचा बताते हैं। भाई कुलदीप जी ने पितृशोक से उबरने के लिए रची है एक मार्मिक कविता-
जैसे मानो कह रही हो हम से
मैं मरा नहीं,
अभी भी जीवित हूं,
घर की हर चीज में,
तुम्हारी यादों में भी।
मरते तो हर रोज कई हैं।
पर सब ईश्वर नहीं बनते।....
आदरणीय अनीता जी हमारे सोये हुए ज़मीर को जगाने के लिए रचती हैं एक प्रेरक,प्रभावशाली गीत -
बचपन में मिले सारे दुलार को
किस्सों में सुने परी के प्यार को
चाँद पर चरखा कातती बुढ़िया
रोती-हँसती सी जापानी गुड़िया
देख-देख कर जो मुस्कान की कैद हृदय में
उसे बिखराना होगा
आप सभी सुधि पाठकों से अनुरोध है
कृपया "पाँच लिंकों का आनंद " ब्लॉग
को फॉलो भी करें ताकि
हमारी मित्रता और विमर्श में सुदृढ़ता क़ायम रहे।
आपकी अनमोल सलाह व सुझाव की प्रतीक्षा में।
शुभ प्रभात....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति..
सुंदर व
पठनीय रचनाओं का चयन
आभार
सादर
आ0 यशोदा अग्रवाल जी सादर नमन । आप स्वस्थ और प्रसन्न चित्त हैं । यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई ।
हटाएंउम्दा प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंअसीम शुभकामनाएँ
चिंतनीय जानकारी रवींद्र जी,
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतिकरण,पठनीय लिंकों का लाज़वाब संयोजन,
शुभकामनाएँ आपको ।
आदरणीय यशोदा दी का आभार हृदय से।
शुभ प्रभात आदरणीय
जवाब देंहटाएंरवींद्र जी
आज के अंक का शीर्षक ही आज की
प्रस्तुति को संदर्भित करता है
बहुत उम्दा ! शीर्षक ,
लिंक समायोजन शानदार ,
सुन्दर रचनाओं का चयन
आपसभी पाठकों एवं रचनाकारों
की समीक्षा अपेक्षित है ,
सभी को बधाई
आभार ,
''एकलव्य''
सुन्दर भावाभिव्यक्ति के साथ उम्दा लिंक संयोजन...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार,रविन्द्र जी !
शानदार!!!
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात.....
जवाब देंहटाएंआप के द्वारा नये अंदाज में चर्चा करना....
मन पर विशेष प्रभाव डाल रहा है....
अति सुंदर....
आभार....
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंनये अंदाज में प्रस्तुत पांच लिंक्स..बधाई और शुभकामनायें..आभार मुझे भी इसका हिस्सा बनाने के लिए..
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतिकरण,
पठनीय लिंकों का बेहतरीन संयोजन,
शुभकामनाएँ आपको..
धन्यवाद
बहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार अंक है आज का. श्वेता जी और सुनीता जी की रचनाएं बेजोड़ हैं. बधाइँ पांच लिंकों का आनंद. आपका प्रयास सराहनीय है.
जवाब देंहटाएंजीवंत चर्चा ।
जवाब देंहटाएंआप सभी का तहेदिल से शुक्रिया इस अंक पर अपने स्नेह की बरसात करने के लिए। सम्भवतः आज "पाँच लिंकों का आनंद " अपने सफ़र में 1.5 लाख पेज़ व्यू का आंकड़ा पार कर दूसरी वर्षगाँठ(19 जुलाई 2017 ) से पूर्व खुशियां देगा।
जवाब देंहटाएंआप सभी के सहयोग,अभिरुचि और समर्थन से ही हमें इस मुक़ाम पर खुश होकर आप सबको बधाई देने का अवसर प्राप्त होगा। सादर अभिवादन। शुभ रात्रि !
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सुंदर संकलन,बेहतरीन ढ़ंग से प्रस्तुत किया गया...
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