जुलाई का प्रथम सप्ताह जीएसटी
(GOODS & SERVICE TAX )
अर्थात वस्तु एवं सेवा कर की चर्चाओं के नाम रहा।
सरकार का ऐतिहासिक निर्णय लम्बे सफ़र के बाद मुक़म्मल हुआ।
सभी राजनैतिक दल , राज्य सरकारें
और देश की जनता इस कर
सुधार व्यवस्था को स्वीकारते
हुए देश के विकास में सहभागी बनें क्योंकि हम से पहले दुनिया के 165 देश इस व्यवस्था को लागू कर चुके हैं।
पड़ोसी देश चीन संकेतों में भारत को धमका रहा है जिसे तुरत कूटनैतिक प्रयासों से समझा दिया जाना उचित होगा। भारत के साथ जापान, इज़राइल,ईरान और अमेरिका की निकटता को वह पचा नहीं पा रहा है।
विधि आयोग ने सरकार के पास सुझाव भेजा है कि विवाह के उपरांत 30 दिनों के भीतर सभी धर्म के नागरिकों को विवाह पंजीयन कराना अनिवार्य किया जाय ताकि बहु विवाह और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों को नियंत्रित किया जा सके।
प्रसिद्द फोटो जर्नलिस्ट एवं पत्रकार कमल जोशी जी का संदिग्ध परिस्थितियों में असामयिक निधन हमें स्तब्ध कर गया। "पाँच लिंकों का आनंद" की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि!
चलिए अब चलते हैं आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर -
आज आषाढ़ मास की त्रियोदशी (शुक्ल पक्ष )है तीन दिन बाद गुरु पूर्णिमा है। सावन मास के आने में अभी 17 दिन और हैं लेकिन आपको सावन की ठंडी फुहारों में तर करने और सुहावने मौसम का एहसास लेकर आ गयी है पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी की रचना -
बूँद-बूँद बिखरा ये सावन, कहता है कुछ मुझसे,
सपने जो सारे सूखे से है, भीगो ले तू इनको बूँदो से,
सावन के भीगे से किस्से, जा तू कह दे सजनी से....
आँगन है रिमझिम सावन, सपने आँखों में बहते से...
जीवन की विसंगतियों और कशमकश को ख़ूबसूरती से बिम्बों और प्रतीकों में उभारा है रश्मि शर्मा जी ने अपनी इस रचना में -
उलझी हूँ उसके संग ऐसे
जैसे उलझा हो ऊन का गोला
रब ने एक स्वेटर सा बुन दिया हमें
बने रहे साथ, उघड़े तो साथ-साथ
बचेगा बस टुकड़ा-टुकड़ा
संसार की असारता का बोध कराती महावीर उत्तरांचली जी
की एक लघुकथा -
"तुम्हारे प्रश्न में ही उत्तर भी निहित है।बालक इसलिए शोक नहीं कर रहा क्योंकि वह मृत्यु के रहस्य से अनजान है और मै परिचित हूँ।यही जीवन का अंतिम सत्य है। अत: विद्वान् और बालक कभी शोक नहीं करते।" सन्यासी ने शांतिपूर्वक कहा।
समाज के सच को उघाड़ती, हमें सोचने पर विवश करती
"हिमांशु" जी की एक लघुकथा -
मैं कुछ नहीं बोल पाया। शब्द जैसे मेरे हलक में फँसकर रह गए हों।मैं कुछ कहता इससे पूर्व ही पिताजी ने प्यार से डाँटा- “ले लो।बहुत बड़े हो गए हो क्या?”
“नहीं तो” - मैंने हाथ बढ़ाया। पिताजी ने नोट मेरी हथेली पर रख दिए।बरसों पहले पिताजी मुझे स्कूल भेजने के लिए इसी तरह हथेली पर
इकन्नी टिका दिया करते थे,
परन्तु तब मेरी नज़रें आज की तरह झुकी नहीं होती थीं।
आदरणीय कमल जोशी जी अब हमारे बीच नहीं रहे किन्तु उनका कृतित्व एवं व्यक्तित्व प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा।उनकी यादों को ताज़ा करती
4 रचनाऐं /आलेख ( प्रोफ़ेसर डॉ.सुशील कुमार जोशी जी, प्रतिभा कटियार जी, डॉ. अरुण देव जी, अख़बार लाइव हिंदुस्तान ) पेश किये जा रहे हैं।
उन्हें हम सब की ओर से श्रद्धांजलि देती प्रोफ़ेसर डॉ. सुशील कुमार जोशी जी की एक रचना.......
श्रद्धांजलि कमल जोशी.........डॉ. सुशील कुमार जोशी
लोग तुम्हारे
जाने के बाद
कयास
लगा रहे हैं
‘उलूक’ की
श्रद्धांजलि
तुम्हें भी
और उस
समाज के
लिये भी
जो तुम्हें
रोक भी
नहीं सका ।
चलते वक़्त उन्होंने कहा, ‘जल्दी ही देहरादून आता हूँ तब मिलता हूँ तुमसे, तुम मुझे कविता का पाठ करना सिखाओगी?!’ कोटद्वार में ‘क’ से कविता शुरू करने की बात भी हुई। विमल भैया खुश थे कि कोटद्वार में उन्हें उनके जैसा कोई युवा दोस्त मिल गया है। उन्हें क्या पता था कि पहली मुलाकात आखिरी मुलाकात बन जायेगी।
‘क’ से कमल जी ये ‘कैसे’ सफ़र पर निकल गए आप...हम सब आपको याद बनते देखने को कतई तैयार नहीं थे...
यायावर, जीवट से भरे प्रसिद्ध फोटोग्राफर कमल जोशी की आत्महत्या की ख़बर पर यकीन नहीं हो रहा है.
उनसे कई मुलाकातें हैं. पहाड़ के जीवन को केंद्र में रखकर लिए गए उनके छाया चित्रों का संसार अद्भुत है. चमकीले चटख रंगों के उनके छाया चित्रों में निराशा का स्पर्श तक नहीं है. है तो विद्रूपता से संघर्ष की उर्जा है.
गोखले मार्ग स्थित आवास में पत्रकार कमल जोशी का शव खूंटी पर लटका हुआ है। इसके बाद मौके पर पहुंच कर शव कब्जे में ले लिया। आसपास के लोगों ने बताया कि स्व. जोशी रोजाना की तरह सोमवार सुबह घूमकर घर लौटे थे। नौ बजे के बाद वह नजर नहीं आए।
एक यायावर
जवाब देंहटाएंएक लम्बी यात्रा पर
निकल गया
पर सफर का तरीका
काफी से अधिक
तकलीफदेह चुना
विनम्र श्रद्धांजली
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंअच्छा चयन...
सुन्दर रचनाएँ
सादर
शुभ प्रभात !
हटाएंआज के अंक को प्रभावी बनाने में
आदरणीय जोशी सर ,
आदरणीय दिग्विजय जी
एवं बहन जी आपने विशेष योगदान दिया।
आभार सादर।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जोशी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत- इस दुखद खबर ने व्यथित कर दिया।
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों का यूँ ही चला जाना ऐसा निर्वात पैदा करता है जिसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं होती है। कमल जोशी को श्रद्धांजलि देने में इस अंक में 'उलूक' के सूत्र का जिक्र करने के लिये आभार रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजोशी जी को विनम्र श्रद्धांजलि !
वरिष्ठ पत्रकार कमल जोशी जी को विनम्र श्रद्धांजलि..
जवाब देंहटाएंआज की प्रस्तुति बहुत अच्छी
समसमायिक विषयों पर ध्यानाकर्षण करते हुए
बेहतरीन लिकों का चयन।
धन्यवाद!
कमल जोशी की मौत... दुखद खबर
जवाब देंहटाएंआदरणीय कमल के बारे मेंं जानकारी उपलब्ध कराने का शुक्रिया आपका रवींद्र जी, मेरी विनम्र श्रद्धांजलि 🙏।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंको को पढ़कर आनंद आया।
शुभकामनाएँ रवींद्र जी।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवरिष्ठ पत्रकार कमल जोशी जी को हमारी ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित किये जाते हैं। गम और ख़ुशी का समागम है आज का अंक। बधाई पांच लिंकों का आनंद।
जवाब देंहटाएंमेरी विनम्र श्रद्धांजलि|
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक......बधाई|
आप सभी का स्वागत है मेरे ब्लॉग "हिंदी कविता मंच" की नई रचना #वक्त पर, आपकी प्रतिक्रिया जरुर दे|
http://hindikavitamanch.blogspot.in/2017/07/time.html
वरिष्ठ पत्रकार आदरणीय , कमल जोशी जी की मृत्यु एक रहस्यमयी घटना है जो कई सवाल पीछे छोड़ गई , कोई जिंदादिल व्यक्ति जीवन से कैसे ऊब सकता है? ख़ैर यह एक बहुत ही पीड़ादायक घटना है ,और जो क्षति हुई है उसकी पूर्ति संभवतः नहीं हो सकती। इस वरिष्ठ पत्रकार को मेरी भावभीनी श्रद्धांजिली।
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