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मंगलवार, 25 जुलाई 2017

739....वो निर्भया थी....ये गुड़िया है....


जय मां हाटेशवरी....

कल निर्भया नाम दिया गया....
आज गुड़िया....
वो दिल्ली की घटना थी....
इस लिये सारे देश में आंदोलन हुए....
ये शिमला के कोठखाई के एक छोटे से  गांव की घटना है....
इस लिये आंदोलन भी कुछ क्षेत्रों में ही हुआ....
जहां तक....वोटों का स्वार्थ था....
इस से स्पष्ट है.... आंदोलन जनता स्वयम् नहीं....
विपक्षी दल राजनीति करने के लिये करवाते हैं....
इस राजनीति में...निर्भया, गुड़िया की चीखें दब जाती है....
बालिकाओं की सुर्क्षा का प्रश्न कहीं गौण हो जाता है....
होती है केवल....राजनीति, राजनीति, राजनीति...
...जो पढ़ सका....उस में से...चुनी हुई रचनाएं...

पौराणिक आख्यानों की ओर
विश्वामित्र ने निश्चय किया कि वे ब्रह्म्बल प्राप्त करेंगे.इस निश्चय के साथ ही वे ब्रह्म्बल की प्राप्ति के लिए तपस्या करने चले गए.उन्होंने ताप किया और ब्राह्मणत्व प्राप्त किया.एक क्षत्रिय के ब्राह्मणत्व प्राप्त करने पर भी वर्ण व्यवस्था पर कोई चोट नहीं पहुंची.यह वर्ण व्यवस्था के लचीलेपन का प्रमाण है.ब्राह्मणत्व प्राप्त
कर लेने पर भी कौशिक गोत्र में बने रहने कि सम्भावना व्यक्त की जाती है.विश्वामित्र का कौशिक नाम वेदों और पुराणों में मिलता है.

दोहे "तीजो का त्यौहार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
हाथों में मेंहदी रचा, पहन गले में हार।
तीजों पर तो नारियाँ, करती हैं सिंगार।।
--
उपवन कानन-बाग में, बरस रहा है नूर।
कंटक पेड़ खजूर पर, फल लटके भरपूर।।

दोहे
मानव जीवन में सदा, कोशिश अच्छा कर्म |
मात पिता सेवा यहाँ, सदा श्रेष्ट है धर्म ||
प्रारब्ध नहीं, कर्म है, भाग्य बनाता कर्म |
पाप पुण्य होता नहीं, जान कर्म का मर्म ||

काका की कुण्डलियाँ..... प्रभुदयाल गर्ग ( काका हाथरसी)
मिलें गणेशीलाल, पैंट की क्रीज सम्हारी-
बैग कुली को दिया चले मिस्टर गिरिधारी।
कह ‘काका’ कविराय, करें लाखों का सट्टा,
नाम हवेलीराम किराए का है अट्टा।
काका हाथरसी

कुण्डली हाइकू
हुई आहट
द्वार पर किसकी
आमद हुई !
सावन आया
चमके बिजुरिया
भाया सावन !
पना सच कह देना अच्छा है ताकि सनद रहे

अपना सच कह देना अच्छा है ताकि सनद रहे
उसे भी
वो सब
पता होता है
जितना तुम्हें
पता होता है

ना तुम
कुछ कर
पाते हो
ना वो कुछ
कर सकता है


धन्यवाद।

10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
    एक ज्वलन्त प्रश्न उठाया है आपने
    इसका हल सरकार के पास नहीं
    हम लोगों के पास है..
    सोचिए
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. हिमाचल प्रदेश में हुई बलात्कार की घटना ने देशभर का ध्यान आकृष्ट किया है और समाज में इस वहशीपन पर चर्चा भी गरम है। सख़्त महिला उत्पीड़न निरोधी क़ानून के बावजूद भी बलात्कार की घटनाएं नियंत्रित नहीं हो पा रहीं है जिसका कारण अपराधियों में क़ानून का भय समाप्त हो जाना है।

    समाज पुरुषों को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने के यत्न प्राथमिक स्तर पर करे और तुरत न्याय का प्रबंध सुनिश्चित हो साथ ही गवाहों का समुचित संरक्षण हो तो कुछ सार्थक परिणाम आ सकते हैं।

    ज़रूरी चर्चा आरम्भ की है भाई कुलदीप जी ने .. आपकी रचना-
    "ओ गुड़िया!"
    सोइ हुई संवेदना को जगाती है। लिखते रहिये।

    बहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन किया है। आभार सादर .

    जवाब देंहटाएं
  4. गहन गंभीर विषय..
    महज ये चर्चा ही न बनी रहे..
    उम्दा लिंकों का चयन।

    जवाब देंहटाएं
  5. इंसानियत रोई, पर शैतानियत नहीं बदली !!

    जवाब देंहटाएं
  6. दुखद: घटना। इन्सान कम हो रहे हैं शैतान बढ‌ रहे हैं। आज की चर्चा में 'उलूक' के सूत्र को जगह देने के लिये आभार कुलदीप जी।

    जवाब देंहटाएं

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