परसों तो आई थी मैं
आज फिर से मैं ही
चलिए कोई बात नहीं...
निगाह डालिए मेरी आज की पसंद पर...
आज पूर्णिमा है..
सोने में सोहागा..
इसे गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं
इसी अवसर पर कविता दीदी की एक रचना....
दादू सब ही गुरु किए, पसु पंखी बनराइ .......कविता रावत
झूठे, अंधे गुरु घणैं, बंधे विषै विकार।
दादू साचा गुरु मिलै, सनमुख सिरजनहार।
दादू वैद बिचारा क्या करै, जै रोगी रहे न साच।
मीठा खारा चरपरा, मांगै मेरा वाछ।।
‘दादू’ सब ही गुरु किये, पसु पंखी बनराइ।
तीन लोक गुण पंच सूं, सब ही माहिं खुदाइ।।
कहीं न कहीं डरते हैं
अपनी विनम्रता से
अपनी सहनशीलता से
अपनी दानवीरता से
अपनी ज़िद से
अपने आक्रोश से
अपने पलायन से ...
बस हम मानते नहीं
तर्क कुतर्क की आड़ में
करते जाते हैं बहस
‘जन गण मन’ में
खड़े रहे जो,
‘जन’ को देख न पाते हें.
सड़क किनारे भीख माँगते,
रग्घू फिर मर जाते हें.
दिल के मुकदमे में दिल ही हुआ है दोषी
हो गया फैसला बेकार है सुनवाईयाँ भी
कर बदरी का बहाना रोने लगा आसमां
चाँद हुआ फीका खो गयी लुनाईयाँ भी
मिल के बैठे हों जहां दो-दिल वहाँ मुस्कान ना हो
ऐसा भी क्या है खिले लब पे तू इतना शान ना कर
आरजू तेरी मुझे तुझको भी मेरी ज़ुस्तज़ू है
बात पे पर्दा लगा कर मौत भी आसान ना कर
ऋतु ये आशा की, फिर आए न आए!
उम्मीदों के बादल, नभ पर फिर छाए न छाए!
चलो क्यूँ ना इन बूँदों में हम भीग जाएँ!
फ़िर भी आज़, एक फ़िक्र सताती है मुझे
कहीं मेरे कपड़े मैले ना हों जायें
कहीं मेरी रुह ,दाग़दार ना हो जाए
कहीं मेरे कफ़न की चमक फीक़ी ना पड़ जाए
जीवन की यादों में......
वक्त बेवक्त उफनती ,
लहरेंं "मन-सागर" में........
देखो ! कब तक सम्भलती
हैं, ये यादें जीवन में.........?
लेखनी समझे उलझन,
सम्भल के लिख भी पाये......
मेरे घर में जितने
अखबार आते हैं
उनमें से एक के
मुख्य पृष्ठ पर है
मैं इसे पढ़ पाया
तब से कुछ भी
समझ में नहीं
आ रहा है
इस समाचार का
विश्लेषण दिमाग
नहीं कर पा रहा है
.......
इस माह ही हूँ मैं
31 जुलाई के बाद मैं नहीं मिलूँगी..
वाह्ह्ह...दी, पठनीय सुंदर लिंकों का चयन।
जवाब देंहटाएंगुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ सभी को।
मेरी रचना शामिल करने के हृदय से आभार।
शुभ प्रभात !
जवाब देंहटाएंगुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः
आज का विशेषांक शानदार लिंक्स का संकलन है। अंत में आदरणीय यशोदा बहन जी की घोषणा विचलित करती है। आभार सादर।
शुभ प्रभात आदरणीय ,दीदी
जवाब देंहटाएंआपसबको गुरुपूर्णिमा की
हार्दिक शुभकामनायें,
सुन्दर लिंक समायोजन
आज की प्रस्तुति अच्छी लगी।
आभार ,
"एकलव्य"
शुभप्रभात!
जवाब देंहटाएंगुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर लिकों का चयन..
धन्यवाद।
पर अंतिम वाक्यों से कुछ हलचल...
बहुत सुंदर रचनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसबको गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंSUNDAR LINKS.........
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन आज का .
जवाब देंहटाएं31 जुलाई के बाद कहाँ मिलेंगी? बहुत सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी। आभार 'उलूक' के सूत्र को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक संयोजन...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद......
31 जुलाई से कब तक आप....
जल्द ही आइयेगा यशोदा जी! हम सबको आपका इंतज़ार रहेगा......कुछ दिनो का आराम ही दे सकते है आपको...अलविदा ना कहना.....सादर आभार...