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शुक्रवार, 28 जुलाई 2017

742...और अब जाने की भी तैयारी! अकेले।

सादर अभिवादन.....
माह जुलाई का अंत निकट है
कोई भी ज्योतिषी इसे टाल नहीं सकता
अगस्त में कुछ अच्छे का उम्मीद बनती है
.....आमीन....
आज की पसंदीदा रचनाओं पर एक नज़र....

‘हद है यार! तुम इतने नासमझ तो लगते नहीं! अरे भई! तुम लिखने-पढ़नेवाले आदमी हो। अखबारवालों से तुम्हारी यारी-दोस्ती है। अखबारों के जरिए देश के ज्योतिषियों तक यह बात पहुँचाओ और खुद भी युद्ध के डर से मुक्त होओ और पूरे देश को भी भय मुक्त करो।’
मैं अवाक् हो गया। मुझे इसी दशा में छोड़ वे निश्चिन्त भाव से चले गए। लगभग चौबीस घण्टे हो रहे हैं इस सम्वाद को। मैं अब तक न तो समझ पा रहा हूँ और न ही तय नहीं कर पा रहा हूँ-क्या करूँ? 


दो लघुकथाएँ ...कविता वर्मा
"ये क्या कह रही हैं मम्मी ?" आपकी देखभाल करना मेरा फ़र्ज़ है। अगर आप घर के कामों में मदद की बात सोच कर चिंता कर रही हैं तो निश्चिंत रहिये। यह उस समय की बात है जब आप स्वस्थ थीं एकदम सारे काम छोड़ कर निष्क्रिय हो जाना आपके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं था और बिना अनुभव के गृहस्थी संभालना मेरे लिये भी मुश्किल । लेकिन अब आपके सिखाये तौर तरीके से मैं सब ठीक से संभाल सकती हूँ। आप बस आराम कीजिये अब वर्तमान के आखेट की जिम्मेदारी मेरी। 


ये एहतियात भी रहे ऊचाईयों के साथ ...... सचिन अग्रवाल
राज़ी नहीं था सिर्फ मैं हिस्सों की बात पर
क्या दुश्मनी थी वरना मेरी भाइयों के साथ 

क्या बेवफाई , कैसी नमी , कैसा रंज ओ गम
रिश्ता ही ख़त्म कीजिये हरजाइयों के साथ 


एकोअहं,द्वितीयोनास्ति ...विश्वमोहन
आया अकेला,
चला अकेला,
चल भी रहा हूँ
अकेला,और अब
जाने की भी तैयारी!
अकेले।
अपर्णा बहन का ब्लॉग पहली बार यहां पर
बूढ़ा नहीं होता समय..... अपर्णा बाजपेई
शाम को ले आते हैं बच्चे ;
माँ बाप के लिए रोटी ,
भाई बहन क लिए टॉफी :
और अपने लिए !
एक और आने वाला दिन।
हर आने वाले दिन में
वो छुपाकर रखते हैं ,
माँ के सपने , बाप की उम्मीद ,

Image result for खत गुलाब
गुलाबी खत ....शशि पुरवार
डाकिया आता नहीं अब, 
ना महकतें खत जबाबी। 
दिल अभी यह चाहता है 
खत लिखूँ मैं इक गुलाबी। 



मौसम दिखाई देता है....लोकेश नदीश
दिल को आदत सी हो गई है ख़लिश की जैसे
अब तो हर खार भी मरहम दिखाई देता है

तमाम रात रो रहा था चाँद भी तन्हा
ज़मीं का पैरहन ये नम दिखाई देता है


क्षणिकाएँ.... श्वेता सिन्हा
रतजगे करते है
सीले बिस्तर में दुबके
जब भी नींद से पलकें झपकती है
रोटी के निवाले मुँह तक
आने के पहले
अक्सर भोर हो  जाती है।

....... अरे....परसों इस्तीफा..
और परसों ही फिर से शपथ ग्रहण

वाह रे राजनीति..तेरे खेल निराले
बिहार के अच्छे दिन लौट रहे हैं

...... आज अति हो गई मुझसे...
सहन कर लीजिए..
सादर...
यशोदा
आपने बैंकों में नोट गिनने की मशीनें देखी होंगी
पर यहां उससे भी तेज नोट गिनने वाले हैं
देखिए..




16 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी उम्दा अंक
    संजोया है आपने ,अच्छे लिंक
    नये ब्लॉगों को मौका देना अत्यंत आवश्यक
    अपर्णा जी का स्वागत है
    चलचित्र अच्छा लगा।
    आभार ,
    "एकलव्य"


    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर संकलन दी ,सारे लिंक बेहतरीन एवं पठनीय है।
    कुछ नये रचनाकारों को पढना सुखद लगा।
    नोट गिनती मशीनी उंगलियां पहली बार देखी।

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात !

    नयापन लिए विविधता से परिपूर्ण अंक।
    व्यंग ,लघुकथा ,क्षणिकाएं ,कविता ,ग़ज़ल आदि का सुन्दर समागम।
    उत्कृष्ट सूत्रों का संयोजन। नवागंतुक रचनाकार अपर्णा बाजपेई जी का स्वागत है।
    संतुलन और सजगता हमें आगे बढ़ाने में मददगार है।
    आदरणीय यशोदा बहन जी ने अपने अवकाश की घोषणा कर दी है।
    उन्हें शुभकामनाऐं !
    वे जल्द ख़ुशख़बरी के साथ हमारे बीच फिर सक्रिय हों ऐसी हमारी आशा है।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
    ब्लॉग पर सक्रिय नियमित सुधि जनों का हार्दिक आभार।
    अंत रोचक विडिओ से ..

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत उम्दा संकलन
    सभी रचनायें बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात,
    सुन्दर रचनाओं का सुन्दर संकलन,
    बढ़िया हलचल|

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभ प्रभात!उम्दा संकलन
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही उम्दा संकलन सुन्दर प्रस्तुतिकरण के साथ....

    जवाब देंहटाएं
  8. उम्मीदें जिन्दा रहनी चाहिये। जो भी होगा अच्छा होगा । आमीन । बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है सुन्दर सूत्र चुने हैं । शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर पठनीय रचनाओं से सजी प्रस्तुति । सादर धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर कमाल की प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत से लोग आए...
    पढ़-लिख कर चले गए
    बचा मैं ही था...
    सो वो कमी भी पूरी हुई
    आपकी बराबरी नहीं न कर सकता
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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