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बुधवार, 12 जुलाई 2017

726... इस तहरीर से हमें क्या मिलता है..

१ २ जुलाई २ ० १ ७ 
।।जयतु भास्करः।।

शुभ भोर वंदन



अथ श्री सुभाषित कथ्य..


असमरथ की क्षुधा हरे बहुरि करें बैपार || || 

भावार्थ : -- सुबुध जन कहते हैं : - जल और ज्ञान ( सुभाषित वचनों का संकलन ) दान के लिए हैं व्यवहार के लिए नहीं |  अन्न में कृषक व् बैल का श्रम नियोजित होता है इस हेतु यह व्यवहार की वस्तु है तथापि इसका प्रथमतः उपयोग असमर्थ की क्षुधा शांत करने लिए हो ततपश्चात इसका व्यापार किया जा सकता है |



चंद शब्द..

 कन्याश्री योजना पर



पश्चिम बंगाल, सरकार द्वारा संचालित कन्याश्री योजना को सयुंक्त राष्ट्र से पुरस्कार मिला, जो निस्संदेह बहुत खुशी की बात है। प्रश्न है, क्या? दो चरणो में प्राप्त  (प्रथम चरण के साल में 750 रूपये दूसरे चरण में 25 हजार रुपये 18वर्ष से कम उम्र की छात्रा को एक मुस्त में मुहया किया जा रहा है.) अनुदान राशि का इस्तेमाल आत्मनिर्भरता के लिए किया जा रहा है या राशि के एवज में एक और शोषण का तरीका..


चलिए ये तो हुई समाजिक और नैतिक बातें..

मुद्दें की बात करते है कि..

" नहीं जानती इस तहरीर से हमें क्या मिलता है
पर कुछ तो हैं जो आज भी हम रोशनाई से सफ्हों पर उकेरे जा रहे हैं .."

इन्हीं बातों का ख्याल रखते हुए इन लिंकों पर अपनी नजरें डाले..


वरिष्ठ साहित्कार 'श्री अशोक लव' जी की एक सवेंदनशील रचना..





घुटनों का दर्द बढ़ गया है

तुम्हारी भाभी ने आम का जो पेड़ लगाया था

वह तेज़ आँधी से उखड़ गया है।

वह तो चली गई



'श्री गगन शर्मा' जी द्वारा रचित समसमाइक विषयों पर  आधारित  रचना..   

नहीं तो जबसे जातिबल, धर्मबल, अर्थबल या बाहुबल से
 सत्ता हथियाई जाने लगी है, तबसे केंद्र में गठबंधन
 का बोलबाला ही रहने लगा था । किसी एक दल की
 सरकार का बन पाना असंभव सा होता चला गया था।
 गठबंधन से बनी सरकार को हर वक्त अपने घटकों से 
ख़तरा ही बना रहता था। ऐसी सरकारों की अपनी
 मजबूरियां होती थीं जिनके चलते वे कभी

'तीर -ए -नज़र' ब्लॉग  से समाज की विडंबनाओं और विरोधाभास पर 

तीखी नज़र   

उसको टॉपर ही बनना है

 

एक गधा जिद कर बैठा

जीवन में कुछ करना है,

जो भी हो, उपाय करो

उसको टॉपर ही बनना है ।

वाणिज्ञान ब्लॉग से विचारणीय प्रस्तुति..   

 समाज में बुजुर्गों के प्रति व्यवहार ....एक पहलू यह भी

समाज में बुजुर्गों की दुर्दशा पर हम अकसर बात
 करते हैं, चिंता जताते हैं. सही भी है .
 बुढ़ापे में जब व्यक्ति अर्थ और शरीर से लाचार
 होता है ,सहानुभूति स्वाभाविक है ही....और 
कई बार परिवार वाले उनका सब धन
 हथिया कर उनको बदहाल कर रखते हैं ...

'श्रीमती मीना शर्मा'  द्वारा रचित खूबसूरत विचार.. 







आज तुम दे दो इजाजत !
अंजुरि भर रंग तुम्हारे
अपनी पलकों में सजा लूँ




अनवीक्षा कर विचार जरूर दे

क्यू कि इन्हीं
.... 


' विचारों में ही जब्त है कुछ पैगाम भी..'



 इति शुभम्

धन्यवाद



 


                           







20 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात....
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    सुंदर व
    पठनीय रचनाओं का चयन
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ! बधाई और शुभकामना!

    जवाब देंहटाएं
  3. आज की प्रस्तुति पमौमुझे भी बस इतना ही कहना है..

    आज तुम दे दो इजाजत !
    अंजुरि भर रंग तुम्हारे
    अपनी पलकों में सजा लूँ

    जवाब देंहटाएं
  4. लिंको का बहुत सुंदर संयोजन पम्मी जी,
    ज्ञानवर्द्धक जानकारी आपकी कलम से। पठनीय लिंकों का चयन।
    हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  5. पठनीय लिंक, सुन्दर संयोजन

    जवाब देंहटाएं
  6. विविधरंगी सूत्रों से सजी हलचल..

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही ज्ञान वर्धक अभिव्यक्ति के साथ सुन्दर लिंक संयोजन....

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह ! क्या बात है ! बहुत ही खूबसूरत लिंक संयोजन ! बहुत सुंदर आदरणीया ।

    जवाब देंहटाएं
  9. पम्मी जी ने "पाँच लिंकों का आनंद" की प्रस्तुति में नवीनता को रेखांकित कर दिया है। संस्कृत भाषा को स्थान देकर आपने अनुकरणीय कार्य किया है। रंगों की एकरूपता से बचा जा सकता है। सभी लिंक्स अपनी -अपनी विशेषता लिए हुए। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई। आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
  10. आदरणीय, पम्मी जी
    आज की प्रस्तुति
    विविध आयामों को
    दर्शाती है
    लिंक समायोजन उम्दा !
    लेखकों एवं पाठकों को हार्दिक बधाई ,
    आपके विचार अपेक्षित हैं ,
    आभार
    "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  11. 'एक गधा जिद कर बैठा '' पर टिपण्णी ना हो पाई -- इसे यहाँ से भेज रही हूँ --------------बहुत खूब !!!!!!!!!!!!!! सचमुच यही हकीकत है आजके शिक्षा प्रणाली की बदहाल व्यवस्था का ज्ञान गौण है अंक अर्जित करना टॉपर बनना ही एकमात्र मकसद हो चला है यहाँ तक कि गधे भी इस रस्ते का अनुसरण करने चल पड़े है -- बहुत ही खूब मान्यवर --

    12 जुलाई 2017 को 10:16 pm

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय पम्मी जी रचनाओं के सुंदर वा सुघढ़ समायोजन के साथ आज की पंचरंगी महफ़िल खूब सजी -- नीति से लेकर जीवन के भयावह सत्य से साक्षत्कार कराती सभी रचनाये बहुत सुंदर है -- भावों का इन्द्रधनुष कमाल है तो गधे की जिद समाज की बेढब चाल की और इंगित करती है -- आपको हार्दिक बधाई --

      हटाएं
  12.  आप सभी के स्नेह, अवसर और टिप्पणी के लिए ह्रिदय से धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  13. सभी लिंक्स अनूठे लगे । अलग अलग प्रकार की रचनाओं का यह संकलन वाचन में नीरसता एवं एकरसता आने ही नहीं देता । आपके द्वारा दी गई जानकारी संकलन की सुंदरता में चार चाँद लगा रही है पम्मी जी। बधाई एवं शुभकामनाएँ । सादर...

    जवाब देंहटाएं

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