दीवारें हमारी दुनिया के लोगों से
भरी पड़ी है दूसरी दुनिया पर
सामंजस्य स्थापित करना
बहुत ही कठिन है
दूसरों के दुःख सुन कर
समझ कर अपना दुःख
तिनका सा लगता है
कोई ऐसा कोम्बिनेशन भी पहन सकता है।
पथैटिक। बदलो फटाफट। रूको मैं ही निकाल कर लाती हूँ ।"
"अरे पहले नाश्ता तो दे दे। "
"रूको तो एक मिनट ही तो लगेगा ।
मैं निकाल रही हूँ तुम फटाफट बदल लेना। फिर नाश्ता लगाती हूँ ।"
कहते हुए सुम्मी शर्ट लेने अंदर चली गई ।
और रोहित बेचारा शर्ट के बटन खोलते हुए सोच रहा है
कमजोरी को बनाई ताक़तजब ममता 2007 के बाद घर से बाहर निकलने लगीं
तो उनकी माँ ने उन्हें यही नसीहत दी कि,
'' बेटा, आगे बढ़ना है तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना."
उसके बाद ममता पेंटिंग की दुनिया में पूरी तरह से रम गयीं.
गोलारोड स्थित एक निजी संस्था और पाटलिपुत्रा के उपेंद्र महारथी संस्था में
आज भी ममता करीब 200 -300 महिलाओं और
लड़कियों को मिथिला पेंटिंग का प्रशिक्षण दे रही हैं.
><><
फिर मिलेंगे
शुभ प्रभात प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
सारे के सारे अनपढ़े थे...सब पढ़ ली
आभार
सादर
शुभप्रभात.....
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन....
आभार आप का....
बढ़िया हलचल प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंअपठित लिंक थे सारे बहुत आभार विभा जी सुंदर रचनाएँ पढ़वाने के लिए।
जवाब देंहटाएंपांच लिंक...............पंचामृत
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा संकलन...
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स के लिए आभार
जवाब देंहटाएंपूरे दिन की खुराक दे देता है आपका ये संकलन...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनए ढंग की प्रस्तुति है आज का अंक। सुंदर वैचारिक सूत्र चयनित हुए हैं इस प्रस्तुति में। आभार सादर।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन।
जवाब देंहटाएंपठनसामग्री के साथ साथ दिलो दिमाग को अच्छी खुराक दे देते हैं हलचल के सुंदर संकलन । सादर धन्यवाद एवं सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
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