जनसंख्या बढ़ती गई,यूँ ही बेतरतीब.
तो मानव को अन्न-जल,होगा नहीं नसीब.
जनसंख्या की वृद्धि के,निकले ये परिणाम.
जीवन के हर मोड़ पर, कलह और कुहराम.
पैदा होते प्रति मिनट,नित बच्चे तैतीस.
विषम परिस्थति हो गई,क्या होगा हे ईश.
फुटपाथों पर सो रहे,लाखों भूखे पेट.
क़िस्मत करने पर तुली,इनका मटिया-मेट.
जनसंख्या ने कर दिया,पैदा अहम् सवाल.
कैसे भावी पीढियां,झेलें भूख-अकाल.
बढ़ते जाते आदमी,सीमित मगर ज़मीन.
अन्न बढ़ायें किस तरह,बेचारे ग्रामीण ?
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-कुंवर कुसुमेश
स्वागत है आप का....
पढ़िये आज के लिये मेरी पसंद....
विश्व जनसंख्या दिवस के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी -
Important information about World Population Day
यह दिवस सबसे पहली बार 11 जुलाई 1987 को मनाया गया था क्योंकि इसी दिन विश्व की जनसंख्या 5 अरब को पार कर गई थी इसे देखते हुऐ संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या वृद्धि को लेकर दुनिया भर में जागरूकता फैलाने के लिए यह दिवस मनाने का निर्णय लिया क्योंकि आज दुनिया के हर विकासशील और विकसित दोनों तरह के देश जनसंख्या विस्फोट से चिंतित हैं भारत में बढती जनसंख्या की बजह से देश को लगातार बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी बढ़ेगी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ रह पाना मुश्किल होगा ऐसा अनुमान है कि भारत में एक मिनट में लगभग 25 बच्चे जन्म लेते हैं जनसंख्या के हिसाब से चीन विश्व में प्रथम स्थान पर और भारत दूसरे स्थान पर है इसी को देखते हुए भारत सरकार परिवार नियोजन के कई कार्यक्रम चला रही है
जनसंख्या विस्फोटः
आज विश्व की जनसंख्या लगभग 7 अरब से भी ज़्यादा है। भारत की जनसंख्या लगभग 1 अरब, 21 करोड़, 1 लाख, 93 हज़ार, 422 है। भारत की पिछले दशक की जनसंख्या वृद्धि दर 17.64 प्रतिशत है। विश्व की कुल आबादी का आधा या कहें इससे भी अधिक हिस्सा एशियाई देशों में है। चीन, भारत और अन्य एशियाई देशों में शिक्षा और जागरुकता की कमी की वजह से जनसंख्या विस्फोट के गंभीर खतरे साफ दिखाई देने लगे हैं। स्थिति यह है कि अगर भारत ने अपनी जनसंख्या वृद्धि दर पर रोक नहीं लगाई तो वह 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा।
एक ग़ैर रवायती ग़ज़ल : कहने को कह रहा है------
सत्ता का ये नशा है कि सर चढ़ के बोलता
जिसको भी देखिये वो सर-ए-पुर-ग़रूर है
ये रहनुमा है क़ौम के क़ीमत वसूलते
’आनन’ फ़रेब-ए-रहनुमा पे क्यों सबूर है ?
जब ये तब वो
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वरना सॉरी बोल, तुम्हीं पर डालूँ माला
लेकर प्रभु का नाम, वक्ष चीरूंगा तेरा |
पहनूँगा मैं स्वयं, ठीक यदि दिल कर डाला |
वरना सॉरी बोल, तुम्हीं पर डालूँ माला ||
खो गए बुलबुल के तराने
यह विडंबना ही है कि विकास के पथ पर अग्रसर मानव समाज में अब पक्षियों के अस्तित्व पर चर्चा नहीं होती.कुछ पशु भले ही सामाजिक,राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो गए हों लेकिन विकास का बाजारवाद पक्षियों के विलुप्त होते जाने पर चर्चा नहीं करता.हकीकत यही है कि भले ही हम उत्तरोतर आधुनिक होते जा रहे हैं,नयी तकनीक से गृहनिर्माण कर रहे हैं,कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं,हर दूसरे घरों की छतों पर मोबाईल के टावरों को बनने देते रहे हैं लेकिन सामजिक जीवन में पक्षियों के अस्तित्व को भी नहीं नहीं नकारते.
किसी शायर ने वाजिब ही कहा है कि.........
आलम को लुभाती है पियानो की सदाएं
बुबुल के तरानों में अब लय नहीं आती
*रोला छन्द* - *गुरु पूर्णिमा की शुभकामनायें*
दूर करे अज्ञान , वही गुरुवर कहलाये
हरि से पहले नाम, हमेशा गुरु का आये ।।
धन्यवाद।
शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
जवाब देंहटाएंआज विश्व जनसंख्या दिवस है
2030 की हालात को सोच कर
भयातुर हो गई हूँ
बाकी रचनाएँ बेहतरीन है
सादर
शुभ प्रभात ,आदरणीय
जवाब देंहटाएंकुलदीप जी
मनुष्य 'सतत संपोषणीय विकास' की बात करता है किन्तु
बढ़ती जनसंख्या को देखकर ,ये विचार छले से प्रतीत होते हैं
प्रत्येक हाथ रोटी , प्रत्येक हाथ काम इस प्रगति से संभव नहीं
भविष्य में होने वाला संघर्ष संसाधनों को लेकर तय है
ज्ञानवर्धक लेखों का चयन ,सुन्दर लिंक
आभार ,"एकलव्य"
विश्व जनसंख्या दिवस
जवाब देंहटाएंचिन्तनीय...
बढ़ने से रोकने में सरकार की मदद नहीं
अपने आप में दृढ़ विश्वास चाहिए
हाँ एक बात अवश्य सरकार कर रही है
जनसंख्या में कमी लाने का...?
सादर
suprabhat ....
जवाब देंहटाएंsundar links .....
sundar halchal
जी, आदरणीय,
जवाब देंहटाएंसचमुच आज का एक विचारणीय विषय है। जनसंख्या के बढ़ते जंगल में आगे की स्थिति दयनीय ही होगी निश्चित है।
ज्ञानवर्द्धक पठनीय लिंको का चयन।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदेखा जाए तो देश की सबसे बड़ी समस्या हमारी आबादी ही है !
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्द्धक विचारणीय लिंको का चयन
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया..
धन्यवाद
बहुत सुंदर लिंक्स.मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंविश्व जनसँख्या दिवस पर आज भाई कुलदीप जी ने महत्वपूर्ण लिंक प्रस्तुत किये हैं। बढ़ती जनसँख्या आज विस्फोटक स्थिति के साथ हमारे समक्ष एक चुनौती बनकर खड़ी हो गयी है। आज जब प्रति सेकण्ड 4 बच्चे पैदा हो रहे हैं वहीं प्रति सेकण्ड 1.8 अर्थात लगभग 2 व्यक्तियों की मृत्यु होती है। साफ़ तौर पर जन्म दर अधिक है। कुछ आंकड़े -
जवाब देंहटाएंसन विश्व जनसँख्या
1000 40 करोड़
1804 1 अरब
1960 3 अरब
2000 6 अरब
जुलाई 2017 7.5 अरब
आभार सादर।
बहुत सुंदर रचनायें
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजनसंख्या का विषय सोचनीय है....
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लिंक संयोजन...
awesome article read full form in hindi Any Full Form
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