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गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

माँ एक शब्द छिपा है जिसमे अनोखा संसार ....अंक 103

आप सभी को संजय भास्कर का नमस्कार
आज मन बहुत ही भारी हो रहा था माँ की याद जो आ रही थी इसीलिए आज सिर्फ माँ को समर्पित माँ की यादों से भरी रचनाये ..........!!

माँ तेरे यादों की हर चीज 

समेट कर रख दी है 

सहेज कर 

मन में 

जो कभी पानी 

तो कभी 

बादल बन 

बरस जाती हैं 

मन में ही 

मन का पंछी...........शिवनाथ कुमार


माँ तो माँ है  :))

मैंने देखा तुम मुस्कुरा रही हो 

देख रही हो हर वो रस्म 

जो तुम्हारी सांसों के

 जाने के साथ ही शुरू हो गयी थी 

स्वप्न मेरे ............. दिगंबर नासवा 


मेरी प्यारी माँ 

तुम्हारे बारे में क्या लिखू 

तुम मेरा सर्वत्र हो 

मेरी दुनिया हो 

तुम्हारे लिए हर पंक्ति छोटी है !

शब्दों की मुस्कुराहट......संजय भास्कर 


माँ ,एक शब्द :))

माँ ,

एक शब्द ,

छिपा है जिसमे ,

एक अनोखा संसार !

माँ ...............  सोनल पंवार



नन्हे मचल रहे हाथों और पैरों के आघात सहे...
हाथों के झूले मे मुझको अपने तू दिन रात लिए...
मूक शब्द तब इन नैनों के तू ही एक समझती थी...
रुदन कभी जो मेरा सुनती तू अकुलाई फिरती थी...



इसी के साथ आप सभी से इज़ाज़त चाहता हूँ

-- संजय भास्कर

7 टिप्‍पणियां:

  1. माँ
    एक
    शब्द ही
    नहीँ इसमें
    पूरी कायनात
    समाई हुई है
    अच्छी चयन
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. तुम्हारे बारे में क्या लिखू 
    तुम मेरा सर्वत्र हो 
    मेरी दुनिया हो 
    तुम्हारे लिए हर पंक्ति छोटी है !

    मां पर सभी रचनाओं का चयन बहुत सुंदर लग रहा है....
    आभार आप का....

    जवाब देंहटाएं
  3. माँ के स्नेह की फुहार लिए सुन्दर हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. माँ के स्नेह और प्यार भरा सुन्दर संकलन
    आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  5. एक पत्र नरेन्द्र मोदी के नाम
    जनाब .कुछ दिन पहले तक जब भी घर से निकलते थे तो लगता था की हम भारत में जी रहे है
    और इस पर गर्व होता था खाने पिने घूमने फिरने की खुली आज़ादी थी लगता था हमारी सरकार हमारे साथ है और लगता था था की हम ऐसे भारत का निर्माण कर रहे है जिससे आने वाली नस्लें और दुनिया याद रखेगी इसीलिए हमने एक मजबूत सरकार चुनी क्योंकि हम मिलीजुली सरकारों से तंग आ चुके थे

    लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते जा रहे है ..कुछ डर सा महसूस हो रहा है .
    अब तो गाय के पास गुजरें तो डर लगता है की कहीं यह किसी समुदाय विशेष को बुरा लग गया तो खेर नहीं
    .
    चुनाव से पहले भोला सा मुंह बनाकर आये थे तुम , कहा था अच्छे दिन आने वाले हैं…
    कैसे अच्छे दिन , कहाँ के अच्छे दिन…. यहां तो ससुरा जो कुछ अच्छा था वो भी कचरा हो गया
    जो सब्ज़ी 10 रुपये किलो मिलती थी आज वही 30 के भाव मिल रही है मोदीजी…. कब आएंगे अच्छे दिन।. अगर इस तरह से आएंगे अच्छे दिन तो फिर किसी भारतीय को तो नहीं चाहिए
    बड़े सयाने बनके आपने कहा था खाली खज़ाना छोड़ कर गयी थी कांग्रेस…...
    उस खाली ख़ज़ाने में से भूटान नेपाल को हज़ारों करोड़ दे दिए …. ऐसा जादू देश की महंगाई कम करने में दिखाओ न जनाब ।..
    आपके ब्रांड थे एक बाबा , आंख मार मारकर पूरे देश को उल्लू बना गए
    कहते थे मोदी को जीताओ पेट्रोल की कीमत आधी करने को कहा था..... कहां गया महंगाई कम होने की बात करने वाला बाबा आपका , बाइक घर पे ताला लगाकर खड़ी करदी है मोदीजी ।
    आपने कहा था आप तरक़्क़ी लाएंगे …. लेकिन ये क्या…विकास की जगह ये फूटे भाग वाला नसीब दे दिया अब हम गरीब लोग अपना फूटा नसीब लेकर कहां जाएं मोदीजी..........
    चारों और आपकी सरकार पर हमले किये जा रहे है अवार्ड लोटाये जा रहे है
    हमने जिस मोदी को देखा था वो अपने भाषणों में ताल ठोकता था ...
    अब तो खामोश है ................................................................कुछ तो बोलिए जनाब

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अगर संभव हो तो इस प्रकार के पत्र आप पंजिक्रित डाक से भेजें तो संभव है मोदी जी पढ़ भी लेंगे।
      यहां मात्र इस प्रकार की टिप्पणियों के माध्यम से अपना रोष जताकर आप शायद अपना समय ही खराब कर रहे हैं।
      ये ब्लौग न किसी धर्म विशेष का है न पार्टी विशेष का ही है।
      न ही ये विरोध जताने का मंच है। इस प्रकार के पत्र आप अपने निजी ब्लौग पर लिखें तो अच्छा होगा।
      यहां केवल आप नियमित प्रस्तुत हलचल पर ही अपनी टिप्पणियां दर्ज करें।

      हटाएं

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