सभी को
यथायोग्य
प्रणामाशीष
4 सितम्बर 2014 यानि करीब 13 महीना पहले ; फेसबुक के इनबॉक्स में बात करते , मुझे आदरणीय सुरेश पाल वर्मा जसाला जी से इस विधा का पता चला .....
---------[१]
तू
मेरा,
मैं तेरा,
जीव-जीव
कण -कण का
तू ही आधार है ,
प्रभु निर्विकार है।
---------[२]
क्यूँ
मन
समाया
व्यवधान ?
हे वीर पुत्र !
भर दे हुंकार
ढूंढ ले समाधान।
---------[3]
लो
थामो,
अपना-
गुरु मंत्र,
मैं छोड़ चुका-
शोणित बहाना ,
हूँ प्यार का दीवाना।
~~~~
एक साल के बाद
~~~~~~
हाइकु की तरह वर्ण पिरामिड मुझे आकर्षित किया पाठन लेखन के लिए
समय की कमी नहीं
लम्बे लम्बे लेखन में असफल हूँ मैं
~
यह मेरी नवविधा है - ''वर्ण पिरामिड''
[इसमे प्रथम पंक्ति में -एक ; द्वितीय में -दो ; तृतीया में- तीन ; चतुर्थ में -चार; पंचम में -पांच; षष्ठम में- छः; और सप्तम में -सात वर्ण है,,, इसमें केवल पूर्ण वर्ण गिने जाते हैं ,,,,मात्राएँ या अर्द्ध -वर्ण नहीं गिने जाते ,,,यह केवल सात पंक्तियों की ही रचना है इसीलिए सूक्ष्म में अधिकतम कहना होता है ,,किन्ही दो पंक्तियों में तुकांत मिल जाये तो रचना में सौंदर्य आ जाता है ] जैसे-
~
थे
वट
पीपल ,
आम,नीम,
कुँए के पास,
झूलों की मस्ती में -
खिले मन उदास। [२]
~~सुरेशपाल वर्मा जसाला [दिल्ली]
मैं
बिन
तेरे हूँ
अधूरा सा
गम में मारा
लगता क्यों सारा
बनता हूँ .....बेचारा ।।
है
तन
एकाकी
तरुवर
रिश्ते हैं पात
जिनका पोषण
कर्तव्यों का रोपण
हो
माँ के
शिशु को
अहसास
गर्भ बाहर
संरक्षण नुमा
पिए क्षीर सागर
सात पंक्तियों से
ज्यादा पंक्ति है
होना चाहिए
या नहीं
होना चाहिए
??
फिर मिलेंगे
तब तक के लिए
आखरी सलाम
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंनया प्रयोग करने में आप माहिर हैं
सलाम आपको
तुम
जवाब देंहटाएंआए थे,
पता लगा...
ये सुन कर,
अच्छा भी लगा
पर गैरों से पता
चला,बेहद बुरा लगा..!!
शुभ प्रभात
हटाएंस्नेहाशीष छोटी बहना
आप बहुत अच्छी हैं
लेखन बहुत ही अच्छा है
विभा जी मेरी नव-विधा वर्ण पिरामिडों को अपने पटल पर स्थान देने के लिए बहुत-बहुत अभिनन्दन,,, एवं आभार
हटाएंविभा जी ,,हर विधा अपना महत्व है ,,,फिर तो हाइकु / त्रिपदी तीन की ही क्यों ,, मुक्तक चार का ही क्यों ,,,,, कुंडली छह की ही क्यों आदि-आदि
हटाएं,,,,गागर में सागर भरने के लिए छोटी रचनाओ का उपयोग होता है
हम आभारी हैं
हटाएंजी सात सुर के सात रंग इसे मान लेते हैं
वर्ण पिरामिड जानना रोचक लगा.... क्या इसमें ७7 पंक्तियाँ ही होती या और अधिक?
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी के साथ बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
जी
हटाएंसात ही पंक्ति
वाह बहुत सुंदर और रोचक प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंविभा जी नमस्कार। लगभग एक साल के बाद इस लिंक पर आया हूँ। बहुत सुंदर पिरामिड पढ़ने को मिले। मुझे निजी तौर पर अपने द्वारा लिखित पिरामिड (माँ का गुणगान
जवाब देंहटाएंहो
माँ के
शिशु को
अहसास
गर्भ बाहर
संरक्षण नुमा
पिए क्षीर सागर) को एक उदहारण के रूप में देख कर अत्यन्त ही प्रसन्ता हुई। एक विनती है यदि इस उदहारण के साथ लेखक /कवि का नाम भी दिया जाता (त्रिभवन कौल ) तो अत्यन्त ही उचित रहता। आभारी रहूंगा। _/\_
आदरणीय त्रिभवन जी
जवाब देंहटाएंआपका नाम छूटा नहीं है
दिया गया गै आपके ब्लॉाग का लिंक
आपकी रचना के ऊपर मां का गुणगान शीर्ष को छुएँ तो
आपका ब्लॉग आपको नज़र आने लगेगा
सादर
यशोदा
हार्दिक आभार...मुझे यह मालूम नहीं था यशोदा जी . सादर :)
हटाएंहार्दिक आभार...मुझे यह मालूम नहीं था यशोदा जी . सादर :)
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