सभी को दशहरा की अशेष शुभकामनाओं
संग
यथायोग्य
प्रणामाशीष
श्रद्धा सुगन्ध
देव द्वार से लाई
बहेतु हवा
कोई इस राह चलता है
समय के साथ कहते हैं
नहीं मानक बदलते हैं
कसौटी एक ही रहती है
नमूने ही बदलते हैं
मर्सिया गाने लगे हैं
इंसान बन गया है हैवान
मुर्दों में भी जान आने लगे हैं
जानवरों पर होने लगी सियासत
इंसानों से भय खाने लगे हैं
दुर्गा पूजा पर एक रिजेक्टेड निबन्ध
दुर्गा पूजा नामक उद्योग की स्थापना हुई
इस उद्योग के साथ साथ
इससे जुड़े बाकी के एंसीलरी
उद्योगों का भी विकास हुआ
शरद सुहावन , मधु मनभावन
शरद के स्वच्छ गगन पर
चाँद उग आया पूनम का
व्रत त्याहारों से घर आँगन पावन
करवा चौथ दशहरा आये पाप नशावन
माँ त्री वर दे
विद्या रुद्राणी पद्मा
स्त्री शक्ति बढ़ा
फिर मिलेंगे
तब तक के लिए
आखरी सलाम
विभा रानी श्रीवास्तव
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंवस्तु विषय पर प्रस्तुति
आपको महारत हासिल है
साधुवाद...
सादर
आनंद में नये रंग भरती हलचल....
जवाब देंहटाएंआभार आप का....
बहुत सुंदर प्रस्तुति । जारी रहे ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआभार!