ब्लाग की उम्र
बढ़ती जा रही है
आप से आप
कड़ियों की संख्या भी
बढ़ती ही जा रही है
अपनी उम्र की तरह....
आज के अंक में पढ़िए कुछ नई-जूनी रचनाएं....
उफ़ अरहर की दाल ने,हाल किया बेहाल।
दो सौ रुपया प्रति किलो,से ऊपर है दाल।
एक खत.....
तुम्हारे मन में भी
ख्यालों का बवंडर उठता होगा
बंद आँखों के सत्य में
तुम्हारे कदम भी पीछे लौटते होंगे
इच्छा होती होगी
फिर से युवा होने की
दिल-दिमाग के कंधे पर
गलतियों की जो सजा भार बनकर है
आज मैंने देखा सड़क पर
एक नन्हा सांवला बच्चा
प्यारा सा,, खाने की थाली में कुछ ढूंढ़ता हुआ
उस थाली में था भी तो ढ़ेर सारा पकवान .....
वहीँ पास उसकी बहन थी
जो एक सुन्दर से दिए के
साथ खेल रही थी .....
कल मैंने एक विदेशी दोस्त को दादरी घटना की थोड़ी डिटेल बताई
दोस्त थोडा चोंका, फिर उसने जो जवाब दिया कसम से शर्म से सर झुक गया ..
उसका जवाब था.....तो भाई इसका मतलब यह हुआ की इंडिया में एक जानवर को माता कहा जाता है
यानि हर नस्ल की माता,नागोरी, थरपारकर, भगनाड़ी, दज्जल, गावलाव,गीर, नीमाड़ी, इत्यादि इत्यादि,
दिल के किसी कोने मैं
हसरतें करवट बदलती है
नयी उमंगें उमड़ती है...
कुछ पुरानी लौ लगती है
सपनों को पंख, और
उम्मीदों को उम्र चढ़ती है
बचपन के स्मरण से नौरता का भूला सा गीत .....
चिंटी चिंटी कुर्रू दै
बापै भैया लातुर दै
गुजरात के रे बानियां
बम्मन बम्मन जात के
जनेऊ पैरें धात के
टींका दयें रोरी कौ
हार चड़ाबें गौरी खों
फट जाने दो गले की नसें
अपनी चीख से
कि जीने की आखिरी उम्मीद भी
जब उधड़ रही हो
तब गले की इन नसों का
साबुत बच जाना गुनाह है
हवा पर लिखा मैंने तेरा नाम
ले गयी उड़ाकर हवा तेरा नाम
समंदर की रेत पर लिखा तेरा नाम
मिटा दिया लहरों ने हर बार तेरा नाम
इस बार इतना ही
शतक से
सात कदम की
दूरी पर हैं हम
आज्ञा दें यशोदा को
आज सुनिए
साज भी आवाज भी
बढ़िया प्रस्तुति यशोदा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक के साथ ही बनारसी पान का जायका लिए मस्त गाना प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंमेरी कविता शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद यशोदा जी। अन्य सभी लिंक्स के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंशामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक
जवाब देंहटाएंबहुत खूब। सभी लिंक बहुत ही अच्छे हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक
जवाब देंहटाएंशामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद
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