कुंजन कैसे शुरू हो
अब धुँआ-धक्कीड़ शोर बहुत है,
बगुलों के ठिकानों पर,
मासूम मछलियाँ कैद हुई-
इन ऊँचे मकानों पर
जल रहा हरेक कमल है,
चुप है कोयल बागों में,
गधा सरताज है शातिर बेवकूफ़ी का
ऊँट तो लगता है कलाम किसी सूफी का
सिंह है भूख और आलस्य का सिरमौर
बाकी बहुत सारे हैं कितना बताएं और...
सारे पशु पक्षी हममें कुछ न कुछ भरते हैं
तब जाकर हम इंसान होने की बात करते हैं
थोड़ा - सा दाना और थोड़ा - सा पानी,
अगर इसे मिल पाएँ।
तो इसकी प्रजाति,
इस धरती पर बढ़ जाएँ।।
फिर मिलेंगे
तब तक के लिए
आखरी सलाम
विभा रानी श्रीवास्तव
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसुबह की नीन्द
आज चिड़ियाओं के
चहकने से खुली
अच्छी प्रस्तुति
सुंदर सूत्र सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआदरणीय आंटी सुंदर लिंकों का चयन करके उत्तम हलचल लगाई है आपने....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ।
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