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शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015

क्या -क्या अपने साथ ले गए...अंक नब्बे

संजय जी की प्रस्तुति 
कल आप सभी ने 
देखा ही होगा
मैं सराहना करती हूँ

एक अजब सा 
संयोग.. बनता जा रहा है 
2015 में दो-दो उत्सव 
एक साथ हो रहे हैं
इस माह...एक दिन के फर्क में 
दशहरा और मोहर्रम 
लगभग साथ-साथ है
ईश्वर भी पक्षधर है
हिन्दू-मुस्लिम एकता का

चलिए चलते हैं पसंदीदा रचनाओं का ओर....


मैं पुष्प हूं
भावनाओं से युक्त
मुझे माली नहीं
कवि प्रीय है...
कवि  मुझे
कभी नहीं तोड़ता
न वो केवल
सौंदर्य ही देखता है...
वो  अक्सर
आता है 
पूछता है मुझसे
मेरे मन की बात...



मुल्तवी कर दिया है...
तुमसे कुछ कहना
कि पता है, सुनोगे नहीं
सुन जो लिया तो 
समझोगे नहीं


जब तुम गए मैने देख़ा ही नहीं 
क्या -क्या अपने साथ ले गए
अब मेरा बहुत सा सामान नहीं मिला रहा 
ज़्यादा कुछ नहीं बस दो चार चीज़े हैं 
मैने तुम्हें हर उस जगह पर तलाशा जहाँ तुम हो सकते थे
एक मेरा विश्वास; एक मेरी परछाई


“कुल मे है तो जाण सुजाण, फौज देवरे आई।'
“राजपूत का किसने आह्वान किया है ? किसकी फौज और किस देवरे पर आई है ?''
सहसा सुजाणसिंह के मन में यह प्रश्न उठ खड़े हुए । वह उठना ही चाहता था कि उसे फिर सुनाई पड़ा - 
‘‘झिरमिर झिरमिर मेवा बरसै, मोरां छतरी छाई।’’ 
कुल में है तो जाण सुजाण, फौज देवरे आई।”


धार्मिक विचारों और ग्रंथों के अनुसार रजस्वला स्त्रियां पहले दिन चंडालिनी, दूसरे दिन ब्रह्म घातिनी और तीसरे दिन धोबिन स्वरूपा होती है | इसके पीछे क्या तथ्य है? इसी वजह से पति के साथ एक कमरे में रहना भी वर्जित होता है| मजे की बात तो यह है कि जाप और ध्यान में कोई मनाही नहीं है|


तीसरे दिन माँ  चन्द्रघण्टा की आराधना 
तुम भक्तों की रख बाली हो ,दुःख दर्द मिटाने  बाली हो 
तेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों में


महंगाई-महंगाई चि‍ल्‍लाने वालो पाकि‍स्‍तान चले जाएं
काजल कुमार..











इज़ाजत दें यशोदा को
फिर मिलूँगी

साज और सुर
चाहूँगा मैं तुझे सांझ सवेरे...दोस्ती














8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात....
    सुंदर लिंक चयन....
    मुझे भी पांच लिंकों में
    स्थान दिया आभार....
    दीदी आप का....

    जवाब देंहटाएं
  2. मान के लिए धन्यवाद ...सुन्दर सूत्र संकलन... बधाई ....:)

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर सूत्र संयोजन
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरी रचना को स्थान देने का तहे दिल से शुक्रिया । बहुत सुंदर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  5. कुर्सी के कीड़ों ने फिर से ऐसा भड़काया हमको
    जिंदा है यह तो मगर हम अपनी जान गंवा बैठे
    खामोशियाँ साध ली देखो इन रहनुमाओं ने आज
    दहशतों मैं अफ़सोस इन्सानों को इन्सान भुला बैठे
    क्या खोया क्या पाया हमने इनकी रहबरी मैं यारो
    मस्जिदें तो आबाद हुई अफ़सोस ईमान भुला बैठे
    मंदिरों को बचाकर भी अफ़सोस भगवान भुला बैठे
    .........................................................MJ

    http://deshwali.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी प्रस्तुति
    लिंक चयन
    बेमिसाल होता
    बहुत कुछ सिखाना होगा मुझे

    जवाब देंहटाएं

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