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सोमवार, 30 सितंबर 2024

4263 ..ब्रेड-केक बिस्किट लगे सच्चा

 सादर नमस्कार


अलविदा सितंबर




सड़कों पर चलती नावें
दिन दिखते तारे हैं
कैसे अजब नज़ारे हैं

पनघट घर के भीतर आया
तैर रहे सब बासन
कारागार से इस जीवन पर
बादल करते शासन





पैदा होते ही मुझे मोक्ष मिल जाता
तो मैं पूरे जीवन से वंचित रह जाता





निरंतर, क्षितिज को निहारता,
उस शून्य को पुकारता,
चाहता फिर उसकी चंचलता,
संग उसके इक वास्ता.....




पूआ-गुझिया-खजूर न अच्छा।
ब्रेड-केक बिस्किट लगे सच्चा।
चाउमीन ने ऐसा किया कमाल।
भूले भुजिया-सब्जी रोटी- दाल।





बुल्लेशाह  की तू कहे  काफ़ियाँ,
गाये  वारिस  की  हीर  जोगी |
दिल  का  ही  था  किस्सा  कोई
जो राँझा  बना   फ़कीर  जोगी |
इश्क़ के  रस्ते  खुदा  तक  पँहुचे,
क्या तूने  वो  पथ  अपनाया  जोगी ?
ये कोई  दर्द  था  दुनिया  का ,
या दुःख   अपना गाया  जोगी !!


बस

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