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शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

4259...रिश्तों को सहूलियत के अनुसार खर्च करता है...

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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हमारा पूर्ण अस्तित्व भावनाओं की गीली यादों से भरी एक गठरी ही तो है, जिसे हम हर वक़्त उठाए या लटकाए चलते रहते हैं।  सोते समय भी उसे तकिये की तरह इस्तेमाल करते हैं, जागते-सोते हर समय इन्हीं में उलझे रहते हैं।  इसी गठरी की गांठे खोल समय-समय पर अपने मीठे-कड़वे अनुभवों को भावुकता के पालने में बैठाकर अतीत और भविष्य के बीच झुलते हुए वर्तमान जीना ही भूल जाते हैं और स्वयं
को आहत करते हैं।
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आज की रचनाएँ-


मिलना,कभी-कभी मिलना
या कभी नहीं मिलना 
ये सब दिखते भले अलग-अलग हो 
मगर इनके पीछे का केंद्रीय भाव एक है
किसी से मिलना करना चाहिए
तब तक स्थगित
जब तक आप इसे समझने न लगे 
मात्र एक दैवीय संयोग


उलझी हुई “जिग्सॉ पजल” लगती है जिन्दगी 

जब इन्सान अपनी समझदारी के फेर में 


रिश्तों को सहूलियत अनुसार खर्च करता है ।



अब समन्दर भी तरसता
प्यास तृष्णा की लगाकर
चाँद को लहरें मचलती
स्वप्न को फिर से जगाकर
मन विचारों को पकड़ता
भाव को अवरोध कूटे ।।



बात नहीं है सिर्फ कहने की 
आईने में संवारो ,
खुद को निहारो,
छुपी हुई काबिलियत को निखारो,
सभी हदें पार करो खुश रहने की, 
ये बात नहीं है सिर्फ कहने की 
अपने आशिक़ बनो ,

बच्चों में अनुशासन में कमी

आजकल बच्चों में स्वेच्छाचारिता व् एकान्तप्रियता की भावना भी प्रबल रूप से घर करती जा रही है ! वे अपने पसंद के लोगों के अलावा अन्य किसीसे से बात करना मिलना जुलना बिलकुल पसंद नहीं करते ! कोई घर आ जाए तो कमरे से भी बाहर नहीं आते ! उन्हें मँहगे मँहगे वीडियो गेम्स और बाहर दोस्तों के साथ सैर सपाटा करने में ही आनंद आता है जो बिलकुल गलत है ! वे किसीसे आदरपूर्वक बात नहीं करते !


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आप सभी का आभार
आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में ।
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5 टिप्‍पणियां:

  1. अतीत और भविष्य के बीच झूलते हुए वर्तमान जीना ही भूल जाते हैं

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर अग्रालेख
    आभार
    सादर वंदन

    जवाब देंहटाएं
  3. चिन्तन परक भूमिका के साथ सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित बहुत सुन्दर संकलन । मेरे सृजन को संकलन में सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार श्वेता जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. अति उत्तम संकलन
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल ! मेरे आलेख को भी स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं

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