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शनिवार, 28 सितंबर 2024

4261 ...कुछ दिन और जी लेना

 नमस्कार


देखिए कुछ रचनाएं



बारिश की बूंदें धरती में गिरने से पहले
यात्रा करती है कई मील दूर तक
उसकी इस यात्रा में बिछड़ते है
ऐसे साथी जो देते हैं वचन
धरती तक साथ निभाने का
लेकिन बिछड़ना तो तय है।




उग आते हैं पुष्प उद्यान, मन प्रांगण में
और गूंजने लगती है सरगम श्वासों में
सत्य की ही विजय होती है
असत्य तो पहले से ही पराजित है
चिर पराजित !'





पैकेज उपलब्ध है कैंसर स्केनिंग का 
प्रचार हो रहा है  
स्क्रीनिंग करवा लो, कहीं देर न हो जाय  
और यथाशीघ्र प्रारम्भ हो सके
तुम्हारी कीमोथेरेपी ...रेडियोथेरेपी  
बहुत मूल्यवान है जीवन
सोना बेच देना, खेत बेच देना, घर बेच देना
ख़रीद लेना कुछ और साँसें
कुछ दिन और जी लेना





जिसे चाहा जिसे वो खुशी ना मिली.
दुश्मनी तो मिली दोस्ती ना मिली..
 
यूँ अंधेरे मिला बेतहाशा हमें.
पर लिपट कर कभी रोशनी ना मिली..




ढल जाती है
रंगों की आभा
भावों में,
संवेदनाओं में,
अनुभूति में,
अभिव्यक्ति में ।
कलाकृति में ।

****
आज बस
सादर वंदन

1 टिप्पणी:

  1. आजकल अखबारों में
    कैंसर के इलाज के ज्ञापनों की भरमार रहती है
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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