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शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

4238,,,जो हरेक शख़्स को अपनी ही नज़र आती है वह ग़ज़ल आँखों के पानी से लिखी जाती है

 सादर अभिवादन

आज बारी मेरी
अब देखिए रचनाएँ



रात्रि के नौ बजे हैं। साढ़े नौ बजे गुरुजी की एबीसी टीम के साथ मीटिंग है।जिसमें सभी अनुवादकर्ताओं से चर्चा होगी और उन्हें दिशा निर्देश भी दिये जाएँगे।आज महिला दिवस के उपलक्ष्य में सोसाइटी में योग सत्र का आयोजन किया गया था। सुबह कई लोगों को महोल दिवस पर संदेश भेजे। पापाजी से बात हुई, उन्हें गुरुजी पर लिखी उसकी कहानी पसंद आयी। सुबह वे टहलने जाते हैं तो किसी न किसी सड़क पर सूखे पत्तों के ढेर पर सोया कुत्तों का परिवार भौंक कर अपनी नाराज़गी व्यक्त करता है, उनकी नींद में जैसे ख़लल पड़ गया हो। ‘देवों के देव’ में रावण का अहंकार टूटते देखा, जब शिव ने उससे कहा, भक्ति का अहंकार भक्त को डुबा देता है।रावण कितना बड़ा विद्वान था पर अपनी भक्ति और ज्ञान का गर्व उसे ले डूबा।



छुपम छुपाई के खेल ने
छुपा लिए इनके राजकुमार
सदा के लिए ईश्वर ने और
जीवित अवस्था में  जला दिये
इनके गर्भ शमशान की अग्नि में
इसतरह भूखी रहीं बदन से खाली रहीं और श्रृंगार से




नटखट मत बन,सरल सरस मन।
सजग सहज रह,यह जग उपवन।

सतत मनन कर,पथ पर पग धर।
सपन नयन भर,रख बस यह धन।




बूढ़ी और बीमार मधुमक्खियाँ दिन के अंत में छत्ते में वापस नहीं आती हैं।

वे रात को फूलों पर बिताती हैं, और अगर उन्हें फिर से सूर्योदय देखने का मौका मिलता है, 
तो वे पराग या अमृत को कॉलोनी में लाकर अपनी गतिविधि फिर से शुरू कर देती हैं।

वे यह महसूस करते हुए ऐसा करती हैं कि अंत निकट है।
कोई भी मधुमक्खी छत्ते में मरने का इंतज़ार नहीं करती ताकि दूसरों पर बोझ न पड़े।
तो, अगली बार जब आप रात के करीब आते हुए किसी बूढ़ी छोटी मधुमक्खी को फूल पर बैठे हुए देखें...





‘जो हरेक शख़्स को अपनी ही नज़र आती है
वह ग़ज़ल आँखों के पानी से लिखी जाती है’

“लेखनी आंसुओं की स्याही में डुबाकर लिखो
दर्द को प्यार से सिरहाने बिठाकर रखो।
जिंदगी कमरों-किताबों में नहीं मिलती
धूप में जाओ पसीने में नहाकर देखो।”


आज बस
वंदन

3 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीया सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात !
    सराहनीय रचनाओं से सजा सुंदर अंक,
    बहुत बहुत आभार यशोदा जी, पाठकों को रचना से जोड़ने के लिए !

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद यशोदा जी, आप अपनी तब‍ियत का ख्याल रख‍ियेगा...और हां, आपके इस नायाब ब्लॉग मंच पर स्थान देने के ल‍िए आभार

    जवाब देंहटाएं

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