सादर अभिवादन।
हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का आज जन्मदिवस है जिसे हम हर्षोउल्लास के साथ शिक्षक दिवस के रूप में मानते हैं।पाँच लिंकों का आनन्द परिवार की ओर से शत-शत नमन,पुण्य स्मरण एवं समस्त शिक्षकों को सादर नमन व हार्दिक शुभकामनाएँ।
गुरुवारीय अंक में आज पढ़िए पाँच चुनिंदा रचनाएँ-
यूँ तो सवैतनिक गुरुओं को हम हमारे विद्यालयों, महाविद्यालयों व अन्य शिक्षण संस्थानों में पाते हैं, परन्तु अवैतनिक गुरु तो हमारे जीवन में पग-पग पर, पल-पल में मिलते हैं।
चाहे वो अभिभावक के रूप में हों, सगे-सम्बन्धियों के रूप में हों, सखा-बंधुओं के रूप में हों या
प्रेमी-प्रेमिका के रूप में या फिर शत्रु के रूप में।
*****
एक शिक्षक
क्या चाहे, बस थोड़ा सा सम्मान
दर्शन शास्त्र के प्राध्यापक रह चुके
राधाकृष्णन पढाने से पूर्व उस विषय का गहन अध्ययन करते थे और दर्शन शास्त्र जैसे
निरस और बोझिल विषय को भी इतने सरल तरीके और रोचक शैली में पढ़ाते थे कि छात्रों
को वह आसानी से समझ में आ जाता था।
वर्तमान समय में देखा जाए तो समय के साथ -
साथ शिक्षक न केवल अपना सम्मान अपितु महत्व भी खोता जा रहा है।क्या वजह है?
*****
कहानी । अपने पापा जी। अभिज्ञात । वनमाली कथा। भोपाल
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
अप्रतिम अंक
जवाब देंहटाएंआभार सादर
बढ़िया रचनाएँ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति! समस्त गुरु सत्ता को सादर नमन! सभी पाठकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🙏🙏🌹🌹
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतीकरण अनुज रविन्द्र जी । शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंजी ! सादर नमन संग आभार आपका .. हमारी बतकही को अपनी आज की प्रस्तुति विशेष का हिस्सा बनाने के लिए .. बस यूँ ही ...
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक। मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएं