निवेदन।


फ़ॉलोअर

रविवार, 8 सितंबर 2024

4240 ...मनसुख बाबा अंत समय में जुगल को अपना असली‌ वारिस बना गये।

 नमस्कार




बाबा के क्रिया कर्म आदि के चक्कर में जुगल को उस छोटी सी पोटली को खोलने का समय नहीं मिला। क्रिया कर्म आदि से निपट कर जब जुगल घर आकर नहाने के लिए कपड़े उतार रहा था, तब वो पोटली नीचे गिरी तो‌ जुगल को याद आया, जुगल ने उसे खोलकर देखा तो बहुत जोर जोर से रोने लगा, उसकी पत्नी और बच्चे भी वहाँ आ गये।

जुगल की पत्नी ने जब उस पोटली को अपने हाथ में लिया और देखा तो उसमें दस बीस पचास के बहुत सारे नोट है, पत्नी ने नोट गिने तो दो हज़ार रूपए निकले।

मनसुख बाबा अंत समय में जुगल को अपना असली‌ वारिस बना गये।

जुगल की पत्नी ने जुगल को संभाला और कहा कि ये वो दौलत है जो हर औलाद के हिस्से में नहीं आती।





क्षमा याचना करनी अरु
क्षमा दान दोनों ही बंद करो

जीना है स्वाभिमान के साथ,
देशद्रोहियों से युद्ध करो




अम्मा ने सिखाई संवेदनशीलता
रास थमाई कल्पनाओं की
पापा ने कहा,
जीवन‌ में कमल बनना...
इस सीख के आगे कठिन परीक्षा हुई
अनगिनत हतप्रभ करते व्यवधान आए,
साथ चलते लोगों के बदलते व्यवहार दिखे,





जैसी
जगह मिले
उसी की जैसी
हो लेती हैं

सामंजस्य
हो बात का
बात के साथ
जरूरी
नहीं होता है

कुछ बातें
खुद ही
तरतीब से
लग जाती हैं


आज बस
सादर वंदन

6 टिप्‍पणियां:

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...