शीर्षक पंक्ति: आदरणीय शांतनु सान्याल जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए आज की पाँच चुनिंदा रचनाएँ-
कुम्हलाए
हुए ख़्वाब
को जैसे
रात
ढले सींच गया कोई, अस्थिर
कमल पात पर देर तक
ठहरा हुआ था मेह
बूंद,
*****
*****
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
शीर्षक पंक्ति: आदरणीय शांतनु सान्याल जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए आज की पाँच चुनिंदा रचनाएँ-
कुम्हलाए
हुए ख़्वाब
को जैसे
रात
ढले सींच गया कोई, अस्थिर
कमल पात पर देर तक
ठहरा हुआ था मेह
बूंद,
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शानदार रचनाएँ.आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम
जवाब देंहटाएंसुप्रभात !! पठनीय रचनाओं से सजा सुंदर अंक, आभार !
जवाब देंहटाएंअप्रतिम प्रस्तुति, असाधारण रचनाएं, मुझे शामिल करने हेतु अशेष धन्यवाद, नमन सह ।
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