जीवन का पुष्प खिले ,बीज ऐसा चाहिए।।
जैसे बीज बोये जाएँ, फल वैसा खाइए।।
नव ग्रहों का सार जाना ।
भू के अंतस को भी समझा,
व्योम का विस्तार जाना ।
अनगिनत महिमा गुरु की,
पा कृपा जीवन सँवारें ।
ज्ञान के भंडार गुरुवर,
पथ प्रदर्शक है हमारे ।
बिहारीपुरा के पश्चिम में छत्ताबाजार को पार करके 'ताज पुरा' है। यहाँ मुग़ल बेगम ताज का आवास था। ताज बेग़म ब्रजभाषा की कृष्ण भक्त कवयित्री हुई हैं। इन्होंने वल्लभाचार्य जी के द्वितीय पुत्र गो. विट्ठलनाथ जी से दीक्षा ली थी। इन्होंने श्रीकृष्ण की भक्ति से युक्त बहुतसे पद और छंद लिखे हैं। इनकी यह पंक्ति "हों तौ मुग़लानी हिंदुआनी बन रहों गी मैं" बहुत प्रसिद्ध हुई है। कहा जाता है, श्रीनाथजी के समक्ष होली की धमार गाते गाते ताज बेगम ने अपनी देह छोड़ी थी। महावन में कविवर रसखान की समाधि के निकट ही, एक स्थान पर इनकी भी समाधि बनी हुई है।
तुम्हारे अंदर दाखिल होते वक्त मुझे पता चला कि जीवन में प्लस और माइनस के अलावा भी एक चुम्बकीय क्षेत्र होता है जिसकी सघनता में दिशाबोध तय करना सबसे मुश्किल काम होता है तुमसे जुड़कर मैं समय का बोध भूल गई थी संयोगवश ऊर्जा का एक ऐसा परिपथ बना कि यात्रा युगबोध से मुक्त हो गई नि:सन्देह वो कुछ पल मेरे जीवन के सबसे अधिक चैतन्य क्षण है जिनमें मैं पूरी तरह होश में थी।
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
वंदन
यशोदा जी नमस्कार...तबियत कैसी है आपकी
हटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सादर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सादर
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जवाब देंहटाएंखूबसूरत संकलन!
जवाब देंहटाएंचिंतनपरक विचारणीय भूमिका एवं पठनीय लिंक्स से सजी लाजवाब प्रस्तुति । मेरी रचना सम्मिलित करने हेतु दिल से आभार ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं ।
धन्यवाद श्वेता जी, अपने इस नायाब मंच पर मुझे जगह देने का बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंऔर सब पाकर भी कभी-कभी कुछ भी सहेजे जाने की,,पाने की इच्छा और ऊर्जा दोनों ही नहीं बचती।
जवाब देंहटाएंविरक्ति का ऐसा भाव जब महसूस होता है
जो चला गया, गुजर गया, रीत गया,छूट गया दरअसल वो आपका, आपके लिए था ही नहीं।
परिवर्तन तो निरंतर हो रहा है पर मन स्वीकार नहीं कर पाता है और परिवर्तन को स्वीकार न कर पाने के दुःख में मनुष्य बहुत सारा बेशकीमती समय गँवा देता हैं।
यूँ लगा जैसे आपने मेरी ही मनःस्थिति को बयान कर दिया हो प्रिय श्वेता .
एक और बेहतरीन प्रस्तुति , पठनीय रचनाओं को खोजकर हम तक पहुँचाने हेतु स्नेहपूर्ण आभार !
बहुत सुंदर सराहनीय संकलन।
जवाब देंहटाएंदेरी हेतु माफ़ी
मंच पर स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
सादर