।।प्रातःवंदन।।
"शब्द जो राजाओं की घाटी में नाचते हैं
जो माशूक की नाभि का क्षेत्रफल नापते हैं
जो मेजों पर टेनिस बॉल की तरह लड़ते हैं
जो मंचों की खारी धरती पर उगते हैं...
कविता नहीं होते! "
पाश
क्रान्तिकारी काव्य परम्परा के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर कवि अवतार सिंह संधू "पाश " की जन्म जयंती पर शत-शत नमन (जन्म 9Sep1950)
जो अस्मत बचा न सके उनके अब इस्तीफे चाहिए
खुद हालात से लड़े लेंगें नहीं हमें खलीफे चाहिए
उनकी की शान ओ शौकत इसलिए बंद हो..
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टूट गई वह डोर, बँधे थे
जिसमें मन के मनके सारे,
बिखर गये कई छोर, अति हैं
प्यारे से ये रिश्ते सारे !
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भाषा ने लिपि से कहा
मैं आँखों की मधुर ध्वनि
तुम अधरों से झरती हो
घट घट में मैं डूबी हूँ
तुम कूप कूप में रहती हो..
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बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
अवतार सिंह संधू "पाश " की जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि!
जवाब देंहटाएंसराहनीय रचनाओं का सुंदर संकलन,
आभार पम्मी जी।