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शनिवार, 21 सितंबर 2024

4253 ..माँ! जितना और जैसा आप कहिएगा, सब हो जाएगा।

 नमस्कार

पितरों को नमन


वो कल थे तो आज हम हैं
उनके ही तो अंश हम हैं।

जीवन मिला उन्हीं से
उनके कृतज्ञ हम हैं,

सदियों से चलती आयी
श्रंखला की कड़ी हम हैं।

गुण धर्म उनके ही दिये
उनके प्रतीक हम हैं,

देखिए कुछ रचनाएं



इस लोक से परे
किस लोक में
होकर व्याकुल है चला ...
यह ढूँढ़ता किसे भला ?




अक्सर देखी है हमने,
वकालत करते लोगों को,
दुनिया भर में,
अपने ख़ून के अटूट रिश्ते की।
पर महकती तो है
मुस्कान घर-घर में,
दो अलग-अलग ख़ूनों के संगम से,
पनपे नन्हें फ़रिश्ते की।





यह भक्तों का प्रेम है, भोलेनाथ को प्रेम से जो चाहें बुलाएं। चौका घाट से वरुणा पुल की तरफ जैसे ही बढ़ेंगे, यह मन्दिर सड़क पर ही दिख जाएगा। राह चलते, सड़कों पर बने, कई मन्दिर दिखलाई पड़ जाते हैं। इनके नाम मुग्ध करते हैं। भोलेनाथ, संकट मोचन, भैरोनाथ, दुर्गा माई यह सब तो सुने सुनाए नाम हैं। हे भगवान! तेरे कैसे-कैसे नाम!!! इस शृंखला में मेरा प्रयास होगा कुछ नए नाम दिख जांय तो उनको जोड़ा जाय, जैसे यह है... बउरहवा बाबा।




माँ ने उसकी तरफ देखा और शान्त आवाज में बोलीं ,"बेटा तुम परेशान मत होओ। पितृ पक्ष की पूजा का विधान मैंने सोच लिया है । एक बार बस हमलोग ये देख लें कि ऐसे में कितने पैसे लगेंगे।"

वो एकदम से बोल उठा ,"माँ! जितना और जैसा आप कहिएगा, सब हो जाएगा।"




इंतजार फिर एक बरस का ,
हमको करना पड़ता है
सुंदर सुंदर रूप तुम्हारे ,
तब कारीगर गढ़ता है ।
सबसे प्यारी सूरत चुनकर
अपने घर हम लाते हैं ,
तरह तरह के साज सजाकर
बप्पा तुम्हें मनाते हैं ।


आज बस
सादर वंदन

3 टिप्‍पणियां:

  1. जी ! .. सुप्रभातम् सह सादर नमन संग आभार आपका .. हमारी बतकही को अपने मंच की अपनी इस सतरंगी प्रस्तुति में स्थान प्रदान करने हेतु ...🙏
    आपके इस मंच के माध्यम से .. अग्रिम क्षमा प्रार्थना सहित एक निजी बात .. कि, कल रविवार, 22 सितम्बर 2024 को रात आठ बजे प्रसार भारती के अंतर्गत आकाशवाणी, देहरादून से प्रसारित होने वाली - "काव्यांजलि" में हमारी एकल बतकही होगी .. बस यूँ ही ...

    जवाब देंहटाएं
  2. अनेक सुंदर रचनाओं से सजा हुआ पठनीय अंक , मेरी रचना को मंच पर स्थान देने हेतु हृदय पूर्वक आभार !
    सादर .

    जवाब देंहटाएं

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