आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
पूजने का अर्थ है विशेष सम्मान देना। भारतीय संस्कृति में दैनिक जीवन से जुड़ी मुख्य चीज़ों को, जो जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती उसे पूजने की परंपरा है।
उसी क्रम में-
देवताओं के वास्तुकार और धरती के प्रथम शिल्पकार माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयन्ती हर वर्ष 17 सितम्बर को बड़ी धूम-धाम से मुख्यतः कर्नाटक,असम,पश्चिमी बंगाल,बिहार,झारखंड, ओड़िसा और त्रिपुरा में मनायी जाती है।
कल-कारखानों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा विशेष रुप से की जाती है जिसपर देश के लगभग सभी प्रदेशों की बहुत बड़ी आबादी जीवन-यापन के लिए निर्भर है।
कलियुग का एक नाम कलयुग यानि कल का युग भी है।
'कल' शब्द का एक मतलब यंत्र भी होता है यानि यंत्रों का युग सोचिए न हम सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हजारों यंत्रों के सहारे ही तो चलते हैं, तो ऐसे में जो यंत्रों के देव माने गये हैं उनको हम भूल कैसे सकते हैं।
इन्हें गुनगुनाते सदा मुस्कुराना !
ये सुरभित सुमन तुमको सौंपे है मैंने
हृदय के सदन में, इनको सजाना !
ये जब सूख जाएँ, इन्हें भाव से तुम
स्मृतियों की गंगा में, साथी बहाना !
जब तक श्वासों में सरगम है,
तुम मेरे गीतों को गाना !
मनवीणा के, मौन स्वरों को
साथी, झंकृत करते जाना ।
आगा-पीछा सोच-सोच के
मन के हाल बुरे कर आये,
शगुन-अपशगुन के फेरे में
मोती से कई दिन गँवाये !
मन का क्या है, आज चाहता
कल उसको ख़ारिज कर देता,
छोड़ो इसकी चाहत, ख्वाहिश
हर पल का तुम रस पी लेना !
मधुसूदन हम जानते, सीधी-सी यह बात।
भटकें रास्ता नारियाँ, युद्ध बिगाड़े जात ।।
दानव फिर तांडव करें, जब मिट जाए धर्म।
जान बूझकर हम करें, कैसे ऐसा कर्म ।।
मिलते हैं अगले अंक में।
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर वंदन
'कल' शब्द का एक मतलब यंत्र भी होता है यानि यंत्रों का युग सोचिए न हम सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हजारों यंत्रों के सहारे ही तो चलते हैं,
जवाब देंहटाएंये सच में कलयुग है , यंत्रयुग है . विश्वकर्मा जयंती पर हम यंत्रों के देवता , निर्माण के देवता से यह प्रार्थना करें कि वे मनुष्यों को यंत्रों का सदुपयोग करने की सदबुद्धि प्रदान करें .
मेरी रचना को अंक में शामिल करने हेतु बहुत बहुत आभार प्रिय श्वेता और पुनः यही स्नेहिल अनुरोध सबसे -
तुम मेरे गीतों को गाना !
सुंदर अंक, अर्जुन विषाद भाग -4 को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंभगवान विश्वकर्मा को प्रणाम और सभी को इस अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ ! सार्थक भूमिका और सुंदर रचनाओं का चयन, आभार श्वेता जी !
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