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शुक्रवार, 1 मार्च 2024

4052....मूल्यविहीन जीवन

 शुक्रवारीय अंक में

आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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आलोचना करना और नकारात्मकता फैलाना दो अलग बात होती है। आलोचक हितैषी की तरह होते हैं सही मार्गदर्शन करते है क्योंकि उन्हें विश्वास होता है जिसकी आलोचना वो कर रहे हैं,संबंधित व्यक्तित्व अपनी क्षमता से कम प्रतिभा प्रदर्शित कर पा रहा,परंतु नकारात्मकता में  किसी प्रकार की कोई उम्मीद नहीं बची होती। नकारात्मकता विषैले वृक्ष जैसी हैं जिसकी छाँव में दम घुटता है और उम्मीद को मृत्युदंड दे दिया जाता है।

 आप किस भूमिका में यह स्वयं सुनिश्चित करिये।


आइये आज की रचनाएँ पढ़े-


 मूल्यविहीन जीवन जीने को 
उत्सुक होता समाज 
अपने लिए काँटे बो रहा है
अथवा फूल
यह तो समय देखेगा 
पीढ़ियों को कष्ट भोगते हुए




वो सामाजिक उत्सवों में जाता जरूर है 
पर जाकर एक जगह बैठा रहता है
कहीं किसी स्त्री से टकरा न जाये
ये डर उसे कुर्सी से चिपका देता है 
खाता है तो चम्मच छूट जाती है हाथ से 
भारी प्लेट पकड़ा नहीं जाता 
हर बार वो भूखा भारी मन लिए 
वापस घर आता है



ये रिश्ते नाते झूठे,
क्यों माने इन्हें अनूठे।
सब स्वार्थ के हैं साथी,
वक्त पड़े सब रूठे।

छोड़ो चिंता सारी,
माया तलवार दुधारी,
इसमें उलझोगे जितना,
संकट झेलोगे भारी।


दिन-रात मेहनत करके 
बेटे का पालन करता है,
अपने सुख को भूल कर 
बेटे को खुशियां देता है। 

बेटे को पढ़ा-लिखा कर 
उसको योग्य बनाता है,
घर, जमीन, जायदाद 
सब बेटे को दे देता है। 





उसने सहज ही पूछा, कौन सी पुस्तक ने आपको इतना मोह लिया है, उसने बताया, और तब ज्ञात हुआ, वह किताब उसने भी पढ़ी है।उनकी बातें चल पड़ीं, फिर तो लगभग रोज़ ही मिलना चलता रहा। न कभी उसने पूछा, वह कौन है, न ख़ुद बताया। दिन हफ़्तों में बदल गये और हफ़्ते महीनों में, अब उनका मिलना कॉफ़ी हाउस में भी होने लगा और एक दिन तो उसने घर आने का निमंत्रण भी दे दिया।
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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में ।
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3 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन अंक
    आभार सादर वंदे

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
    सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार प्रिय श्वेता जी

    जवाब देंहटाएं
  3. "आलोचक हितैषी की तरह होते हैं सही मार्गदर्शन करते है क्योंकि उन्हें विश्वास होता है जिसकी आलोचना वो कर रहे हैं,संबंधित व्यक्तित्व अपनी क्षमता से कम प्रतिभा प्रदर्शित कर पा रहा है," बहुत सटीक परिभाषा है आलोचक की, हमें आपने आसपास के लोगों की आलोचना को भी इसी दृष्टि से देखना आ जाये तो जीवन कितना मधुर हो जायेगा।
    सुंदर अंक, आभार !

    जवाब देंहटाएं

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