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शनिवार, 16 मार्च 2024

4067 ...दो जातियां पायी जाती हैं एक मूरख जनता और दूसरा होशियार नेता

 सादर अभिवादन

शादी वैवाहिक दुष्कर्म का लाइसेंस
और पत्नी एक घरेलू नौकरानी
स्वयं से क्षमा याचना करते हुए ...देखिए
आज की रचनाएँ



हर लड़की ज्यों ‘सुधा’ और हर लड़का ‘चंदर’
सबको उनका साथ बड़ा अच्छा लगता है
अपने घर का हाल बड़ा कच्चा लगता है !
घर के जोगी ‘जोगड़ा’ और लगते वो ‘सिद्ध’
इनमें ‘सारस’ कौन है और कौन है ‘गिद्ध’ !




जब हम स्कूल में पढ़ते थे, अध्यापक गण हर घंटे में कहते थे, ध्यान दो, ध्यान से पढ़ो।
घर  पर माँ बच्चे को कोई समान लाने को कहे तो पहले कहेगी, ध्यान से पकड़ो।



आज नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के नियमों को लेकर जैसा बवाल मचा हुआ है, उसका मुख्य कारण उसके नियम नहीं हैं बल्कि हिन्दू विरोधी नेताओं की शंका है, जिसके तहत उन्हें लगता है कि गैर मुस्लिम लोगों को नागरिकता मिल जाने से उनका वोट बैंक कमजोर पड़ जाएगा ! उन्हें अपने मतलब के अंधकार में उन लाखों लोगों का दर्द नहीं दिखलाई पड़ता जो वर्षों-वर्ष से बिना किसी पहचान के निर्वासित जीवन जीने को मजबूर हैं ! ये लोग सीधे-सीधे तो कह नहीं सकते तो उसी संविधान की आड़ ले कर इस कानून का विरोध कर रहे हैं जो उन्हें ऐसा करने का अधिकार ही नहीं देता ! पर वे ऐसा अभी भी आम जनता को बौड़म समझने वाली सोच की तहत किए जा रहे हैं ! विडंबना है कि वे उसी संविधान का गलत सहारा लेने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी शपथ ले वे सत्ता की कुर्सी पर काबिज हुए हैं !




इतनी शिद्दत से जीना होगा
जैसे फूट पडती है कोंपल कोई
सीमेंट की परत को भेदकर,
ऊर्जा बही चली आती है जलधार में
चीर कर सीना पर्वतों का
या उमड़-घुमड़ बरसती है
बदली सावन की !



सोओ-सोओ सोते सोते ही
नित नए सपने बोओ
सो सोकर ही तुम नित
मन में रामनाम को लाओ
सो सोकर मजे उडाओ
भला क्या रखा है भजने में
वो मजा कहाँ जगने में



कल की कल
सादर

2 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा| अरे अब टिप्पणियाँ भी शीर्षक बनाने लगी हैं गज्जब :)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुभ हो शीघ्र हो
      बदलाव आवश्यक है
      सादर वंदे

      हटाएं

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