शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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हमारे देखने, सुनने स्पर्श करने की शक्तियां और यहाँ तक मन भी सिर्फ भौतिक चीज़ों को ही समझ सकता है। हमारे द्वारा बनाया गया कोई भी उपकरण भी सिर्फ भौतिक चीज़ों को समझ सकता है। वह जो भौतिकता से परे है, जो शून्य है वही शिव है।
और अब शक्ति
स्त्री और पुरूष पर समान रूप से सृष्टि के संचालन का दायित्व है, दोनों में अन्योन्याश्रित संबंध है ऐसा मानकर व्यवहार करने से स्त्री संबधित बहुत सारी समस्याओं का निदान हो जाए।
समानता के अधिकार पर क्या कहूँ,
हमें शब्दों में नहीं
आँखों में सम्मान चाहिए।
एकदिवसीय सम्मान लेकर क्या करेंगे?
औपचारिक त्योहार लेकर क्या करेंगे?
मुझे नहीं अलापना नारीशक्ति या नारीमुक्ति का राग,
नहीं जगाना अलख कोई, नहीं कहना नारी तू जाग
तुम दोगे क्या सृष्टि सर्जक को उपहार में विशेष सम्मान,
जो बंधकर भी मुक्त हो लुटाती सृष्टि में नेह-अनुराग।
आइये दिवस विशेष से संबंधित कुछ नयी-पुरानी रचनाओं का आनंद लें-
राह अब भी बहुत शेष है
ऐसा लगता है दुनिया
एक पहिये पर ही
आज तक चलती रही है
तभी शायद इधर-उधर
लुढ़क सी रही है
किंतु अब समाचार सुनें ताजे
घुट-घुट कर जीने के दिन गये
उठने लगी हैं आवाजें
ओ पुरुष,
नियंत्रक बने हर वक़्त
चलाते हो अपनी
और चाहते हो कि
बस स्त्री केवल सुने
कर देते हो उसे चुप
कह कर कि
तुम औरत हो
औरत बन कर रहो
नहीं ज़रूरत है
किसी भी सलाह की ।
ये व्यथा लिखने में,
कहाँ लेखनी सक्षम कोई ?
लिखी गयी तो ,पढ़ इन्हें
कब आँख हुई नम कोई ?
संताप सदियों से सहा है
यूँ ही सहने दो कवि!
धूलि चरणों की....
वेदना मन में छुपाए
जो धरा सा धीर धरती
शूल आँचल में समेटे
हर्ष की बरसात करती
मारती रहती सदा मन
कौन करता इसका मंथन।
ये सूनी पथराई सी आँखें
कोरों का बाँध बना
आँसुओं का सैलाब थामें
जबरन मुस्कराती हुई
ढूँढ़ती हैं कोई
एकांत अंधेरा कोना
जहाँ कुछ हल्का कर सके
पलकों का बोझ।
दिखती है यहाँ वहाँ वो औरत
नानी, दादी, माँ जैसी सूरत
कैसी भी हो लगती बड़ी खूबसूरत
भावों भरी ममता की मूरत
अरे हां तुम भी तो हो वनिता
विदुषी, प्राज्ञी, पुनीता
देवी,दुर्गा,गौरा,सीता
धारण करती रामायण और गीता
हम पूरा इतिहास उकटना नहीं चाहते.
हाँ, इतना जरुर जोड़ेंगे कि नारियों के
उन्नयन की दिशा में जो सदियों की सामाजिक क्रांतियां ‘सौ चोट सुनार के’ मारती रहीं, वो इक्कीसवीं सदी की सूचना क्रांति ने
‘एक चोट लोहार के’ में तमाम कर दिया.
अब सारी दुनिया उसकी उंगलियों में लिपट गयी.उसका वेबसाइट और ब्लॉग उसके सम्मुख था. उसके व्यक्तित्व को मुक्त गगन मिला और उसकी मुलायम भावनाओं ने पंचम में आलाप भरना शुरु कर दिया. उसे अपनी मौलिकता से साक्षात्कार हो गया. उसके अंतःस की रचनात्मकता कुसुमित होने लगी. उसे अपनी सृजनात्मकता के सौंदर्य की अभिव्यक्ति का विस्तृत वितान मिल गया. उसकी श्रृंगारिकता उसके सामजिक सरोकार की शोभा बन गयी
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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में ।
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हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंशिव-शक्ति को
बेहतरीन अंक
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआप सभी को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार प्रिय श्वेता जी सादर
सुप्रभात ! शिवरात्रि और विश्व महिला दिवस पर सभी रचनाकारों और पाठकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ ! दिवस के अनुसार सुंदर प्रस्तुति, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभ कामनाएं बहुत सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक ...।शिवरात्री पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंअत्यंत सामयिक और सुरूचिपूर्ण संकलन। बधाई महिला दिवस की🙏
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता, बहुत प्यारी सी प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार।सबसे ज्यादा खुशी हुई कि मेरी पुरानी रचना और ब्लॉग जगत की उल्लेखनीय रचनाओं को तुमने याद रख उन्हें मंच पर एक बार फिर सजाया! तुम्हारा ये निष्काम कर्म तुम्हें विशेष बनाता है! महिला विमर्श पर सभी रचनाये विशेष हैं! सच तो है कि कई मंचों पर जब महिला ब्लॉगर्स के विवाद हुए और एक - आध महिला ब्लॉगर को छोड़ किसी ने भी पहल की ना सच का साथ दिया तो मुझे बहुत वितृष्णा हुई और मैंने नारी विमर्श की रचना पर लिखना बंद कर दिया पर फिर भी यही कहना चाहती हूं जहां एक नारी अपमानित हो रही दूसरी चुप रहेंगी, ये अनैतिक और अक्षम्य है.नारी के सम्मान ही महिला दिवस की सार्थकता है!मेरी यही सोच है! समस्त ब्लॉग जगत को महिला दिवस और महाशिवरात्रि की ढेरों बधाइयाँ और शुभकामनाएँ! उल्लेखनीय प्रस्तुति के लिए तुम्हें बहुत-बहुत धन्यवाद और प्यार ❤️❤️🌹🌹
जवाब देंहटाएंहमें शब्दों में नहीं
जवाब देंहटाएंआँखों में सम्मान चाहिए।
एकदिवसीय सम्मान लेकर क्या करेंगे?
औपचारिक त्योहार लेकर क्या करेंगे?
बहुत सटीक... अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एवं महाशिवरात्रि पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
सस्नेह आभार एवं धन्यवाद प्रिय श्वेता ! आज की शानदार प्रस्तुति में मेरी रचना भी सम्मिलित करने हेतु ।