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सोमवार, 11 मार्च 2024

4062 .....बेड़ियां तो बहुत सी थी जमाने भर की लेकिन ....

 सादर अभिवादन

मैने..
सहेज ली है
मुट्ठी में ...
तुम्हारी याद जुगनू सी  
वक्त़ बे-वक्त़
कभी अँधेरों ने घेरा तो…  
जिंदगी रौशन करेगी
-मंजू मिश्रा

आज की रचनाएँ



कभी-कभी हम जीवन में सही होने के बावजूद हम गलत लोगों के सामने सिर झुका लेते हैं, तो यह हमारी महानता और संजीवनी शक्तियों का प्रमाण है साथ ही हम यह भी दर्शाते हैं हम सही रास्ते पर और अपने अंदर उदारता है, जिससे हम भले ही असहीमता (परेशानियों) का सामना कर रह है,




उसने मुस्कुरा कर शीशे में निहारा, अभी तो यह आरंभ है, वह जीवन में कभी निराश नहीं होगी, 
और अपने जॉब व शौक़ दोनों में दक्षता हासिल करेगी। एक नयी सुबह उसकी प्रतीक्षा कर रही है।





तेरे बाद मैं होता भी कुछ और तो कैसे होता
तेरी मोहब्बत में देखो होकर बर्बाद आ गया।

बेड़ियां तो बहुत सी थी जमाने भर की लेकिन
तेरे खातिर ही होकर सब से आज़ाद आ गया।




ज़ख्म से जब
जख्म की
आंखे मिली
दिल के
टुकड़े हुए
जख्म मुस्कुराए.....।




पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित पूरे गांव और आसपास के छोटे-बड़े नगरों में श्री सत्यनारायण की कथा के लिए विख्यात थे। वह बड़े ही भाव-विभोर होकर कथा का पाठ करते थे। उन्हें कथा पाठ करते समय पत्रिका की आवश्यकता नहीं होती थी। कथा वचान करते समय वह आंखें मूंद लेते बड़े ही मगन होकर गद्य को लयबद्ध ढंग से सुनाते चले जाते थे,


कल सखी आएंगी
सादर

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात !
    बेहतरीन रचनाओं का संयोजन,
    'मन पाये विश्राम जहाँ' को स्थान देने हेतु आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय जसोदा जी बहुत ही शानदार रचनाओं का समायोजित करके अपने पोस्ट किया है उसमे मेरी रचना भी सम्मिलित करने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार

    जवाब देंहटाएं

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