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गुरुवार, 7 मार्च 2024

4058...दर्द का कोई धर्म नहीं होताl...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया रेखा जोशी जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पढ़िए आज की पसंदीदा रचनाएँ-

मैं और कैरम

कुछ खिलाड़ी तो चाय पीकर ही सोने चले जाते थे और बाकी खेलते रहते थे। इस चौपाल के खेल में नए नए शाट खेलने की आदत पड़ी। इसने खेल में एक नया मोड़ ला दिया। बोर्ड पर कहीं की भी गोटी मारने की महारत हासिल करने की तरफ बढ़ने लगे थे। इसी दौरान श्री चौधरी भास्कर कैरम में मेरे स्थायी साथी बने। दोनों की जोड़ी इतनी जमी कि मुहल्ले की कोई भी जोड़ी हमारा सामना करने से डरती थी। 1975 में इंजिनीयरिंग में भर्ती होने तक यह चौपाल चला। इसके बाद कैरम का सिलसिला रुक गया।

जिन्दगी ने कितने रूप बदले

बहुत ली सलाह भिन्न भिन्न लोगों से ली

कभी किसी की नक़ल कर

पर जरासा सुकून भी न मिला मन

मन का ताप कम न हो सका

अब किसी ने कहा अपने दिल की सोचो

गहराई मैं उतरो

दर्द का कोई धर्म नहीं होता

लिया है जन्म जिसने इस धरा पे,

बहता है खून जिसकी भी रगों में,

तड़पता  है दर्द से  हर जीवधारी,

क्योंकि दर्द का कोई धर्म नहीं होताl

1401-कविताएँ

काश! आज वो यहाँ होते...
ये सोचकर
मैंने
आसमान की ओर देखा
और सच मानो
तबसे
अब तक लगातार
बारिश हो रही है

भारत में अबॉर्शन को लेकर क्या कहता है कानून, जानें

भारत में गर्भपात को नियंत्रित करने वाले कानून का नाम है-मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971. एक रजिस्टर्ड चिकित्सक गर्भपात कर सकता है. पर कुछ शर्तो के साथ. पहला अगर प्रेगनेंसी से महिला के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को खतरा हो. दूसरा अगर भ्रूण के गंभीर मानसिक रूप से पीड़ित होने की संभावना हो. तीसरा यह कि अगर डॉक्टर को लगता है कि प्रसव होने पर महिला को शारीरिक असामान्यताएँ होंगी तो अबॉर्शन का अधिकार है.

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

4 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी आत्मा के तल में
    असल में
    मेरे जीवन में तुम्हारा स्थान है
    ईश्वर से बड़ा।
    सुंदर अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात ! सुंदर प्रस्तुति, महिला दिवस और शिवरात्रि की अग्रिम शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद रवींद्र जी, मेरी पोस्ट को स्थान देने के ल‍िए आपका आभार

    जवाब देंहटाएं

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