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बुधवार, 6 मार्च 2024

4057..कहे अनकहे शब्द...

 ।।प्रातःवंदन।।

"प्रात की किरणें कोमल प्यारी।

जहाँ तहाँ फलती तरु तरु पर 

दिखलाती छबि न्यारी।

जब आलोकित करती हैं 

अवनी कर प्रकृति सँवारी।"

अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

कहें अनकहे शब्दों को ढूंढने की कोशिश में आज शामिल हैं,

ठेठ पहाड़ी से बुलंद आवाज..✍️



अब सीता की बारी है...

 कहाँ त्रेता द्वापर के बंधन मे

बंधने वाली ये नारी है

कल युद्ध लड़ा था श्रीराम ने

अब सीता की बारी ..

✨️


जुदा है उसकी #आंखें ,

नीली नीली सी आंखें ,

गीली गीली सी आंखें ,

निकली जैसे समंदर में नहाके ।

✨️

कर दें न क़त्ल ख़ुद ही ख़्वाबों का ख़ंजरों से

डरने लगे हैं हम तो अपने ही बाज़ुओं से..

ये शक्ल भी किसी दिन हो जाएगी मुकम्मल

ख़ुद को तराशते हैं हम रोज छेनियों से..

✨️

सहज-अनुभूति!

निमंत्रण पर अवश्य आओगे,

दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था,

वंशानुगत न आए तो क्या हुआ,

✨️

मेरी चेतना

अनगिनत पहाड़ ऐसे हैं 

जो मेरी कल्पनाओं में भी समा न पाये,

असंख्य नदियों की जलधाराओं के

धुंध के तिलिस्म से वंचित हूँ;

बीहड़ों, काननों की कच्ची गंध,

चिडियों, फूलों ,तितलियों

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह ' तृप्ति '...✍️


6 टिप्‍पणियां:

  1. आज के इस बेहतरीन अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार, अन्य रचनाकारों को भी बधाई, सबकी रचनाये बहुत अद्भुत हैं 🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. एक से बढ़कर एक रचना👌👌
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर भूमिका के साथ पठनीय रचनाओं का बढ़िया संकलन दी। मेरी रचना शामिल करने के लिए अत्यंत आभार आपका।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय मेम , मेरी रचना " जुदा है उसकी अदा" को इस बेहतरीन मंच में स्थान देने हेतु बहुत धन्यवाद ।
    इस मंच की सभी संकलित रचनाएं बहुत उम्दा है , सभी आदरणीय की बहुत बधाइयां ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं

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